दिल्ली किसकी? इस पर देश के सबसे बडे कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। पांच जजों की बेंच ने कहा कि उपराज्यपाल के पास स्वतंत्र फैसले लेने की शक्ति नहीं है। उन्हें दिल्ली सरकार के फैसलों में खलल नहीं डालनी चाहिए। वे हर मामला राष्ट्रपति को स्थांतरित नहीं कर सकते। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अर्जी लगाई थी। इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि दिल्ली का मुखिया उपराज्यपाल ही हैं और कोई भी फैसला उनकी मंजूरी के बिना नहीं लिया जा सकता। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे दिल्ली के लोगों की जीत करार दिया है।
A big victory for the people of Delhi…a big victory for democracy…
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) July 4, 2018
सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि उपराज्यपाल के पास स्वतंत्र रूप से फैसला लेने की कोई शक्ति नहीं है। वे बाधक नहीं बन सकते। वे मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह पर काम करने के लिए बाध्य हैं। मंत्रिपरिषद को अपने फैसलों की जानकारी एलजी को देना चाहिए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उन पर एलजी की सहमति जरूरी है। न किसी की तानाशाही होनी चाहिए, न अराजकता वाला रवैया होना चाहिए।
हमारे काम से डरी बीजेपी ने कराई आईएएस अफसरों की हडताल- केजरीवाल
