न्यायामूर्ती रंजन गोगई ने बुधवार को भारत के 46 वें मुख्य न्यायाधीश के रुप में शपथ ली। राष्ट्रपती रामनाथ कोविंद ने उन्हें ये शपथ दिलाई। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा सभापति सुमित्रा महाजन राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में हो रहे इस कार्यक्रम में मौजूद रहे।
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न्यायामूर्ती रंजन गोगई ने बुधवार को भारत के 46 वें मुख्य न्यायाधीश के रुप में शपथ ली। राष्ट्रपती रामनाथ कोविंद ने उन्हें ये शपथ दिलाई। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा सभापति सुमित्रा महाजन राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में हो रहे इस कार्यक्रम में मौजूद रहे।न्यायाधीश रंजन गोगोई उत्तरपूर्व से भारत के पहले मुख्य न्यायाधीश हैं और इनका 13 महीने का कार्यकास अगले साल नवंबर में समाप्त हो जाएगा। नियमों के अनुसार पूर्व मुख्यन्यायाधीश दीपक मिश्रा ने वरिष्ठता के तौर पर रंजन गोगोई की सिफारिश की थी और सितंबर के आखिर ममें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस नियुक्ती पर अपनी सहमती दे दी थी।न्यायमूर्ति गोगोई ने फरवरी 2001 में गुवाहाटी उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में अपने करियर की शुरूआत की थी। उन्हें सन् 2010 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया और उन्हें 2011 में वहां का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त कर दिया गया। उन्होंने 23 अप्रैल 2012 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रुप में पदभार संभाला।वहीं इस साल 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के साथ अभूतपूर्व प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के बाद न्यायमूर्ति गोगोई की उन्नति पर अटकलें लगने लगी। न्यायमूर्ति गोगोई और तीन सहयोगी जज जस्टिस जे चेलेश्वर (सेवानिवृत्त होने के बाद), मदन बी लोकुर और कुरियन जोसेफ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीजेआई को मामलों के आवंटन पर सवाल उठाए थे।फिलहाल न्यायामूर्ति गोगोई सुप्रीम कोर्ट में असम में एनआरसी के तहत अवैध नागरिकों की पहचान वाले मसले की निगरानी कर रहे हैं। वह लोकपाल की नियुक्ती की मांग भी एक याचिका की सुनवाई भी कर रहे हैं। इससे पहले वो उन सात न्यायाधीशों की खंडपीठ का हिस्सा थे, जिसने मई 2017 में कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सी एस कर्णन को अदालत की अवमानना के दोषी ठहराया था। उन्होंने उस खंडपीठ का भी नेतृत्व किया है जिसने राजनेताओं के खिलाफ आने वाले मामलों को तेजी से निपटाने के लिए फास्ट ट्रैक अदालतों की स्थापना का निर्देश सरकार को दिया था
न्यायाधीश रंजन गोगोई उत्तरपूर्व से भारत के पहले मुख्य न्यायाधीश हैं और इनका 13 महीने का कार्यकास अगले साल नवंबर में समाप्त हो जाएगा। नियमों के अनुसार पूर्व मुख्यन्यायाधीश दीपक मिश्रा ने वरिष्ठता के तौर पर रंजन गोगोई की सिफारिश की थी और सितंबर के आखिर ममें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस नियुक्ती पर अपनी सहमती दे दी थी।
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न्यायमूर्ति गोगोई ने फरवरी 2001 में गुवाहाटी उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में अपने करियर की शुरूआत की थी। उन्हें सन् 2010 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया और उन्हें 2011 में वहां का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त कर दिया गया। उन्होंने 23 अप्रैल 2012 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रुप में पदभार संभाला।
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वहीं इस साल 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के साथ अभूतपूर्व प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के बाद न्यायमूर्ति गोगोई की उन्नति पर अटकलें लगने लगी। न्यायमूर्ति गोगोई और तीन सहयोगी जज जस्टिस जे चेलेश्वर (सेवानिवृत्त होने के बाद), मदन बी लोकुर और कुरियन जोसेफ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीजेआई को मामलों के आवंटन पर सवाल उठाए थे।
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