असम पुलिस ने कहा है कि वे म्यांमार अल्पसंख्यक समूह के सदस्यों के पहले डेपोर्टेशन में सात रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार वापस भेजने की योजना बना रही है। वो ऐसा इसलिए कर रहें है क्याेंकि गृह मंत्रालय ने पिछले साल राज्य प्राधिकरणों को आदेश दिया था कि वे उन्हें और अन्य अवैध आप्रवासियों की पहचान कर उन्हें डिपोर्ट कर दें।
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वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भास्कर ज्योति महंत कहते हैं कि 2012 में अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने के लिए सात लोगों को गिरफ्तार किया गया था और असम की राज्य जेल में डाला गया था। श्री महंत ने कहा कि सात लोगों को गुरुवार को म्यांमार की सीमावर्ती गार्ड को सौंपने की संभावना है।भारत ने म्यांमार के अधिकारियों से उनके लिए यात्रा परमिट ले लिए हैं। मणिपुर राज्य में मोहर से सीमावर्ती शहर में जेल से इन सात लोगों को बस में ले जाया गया है। महंत ने कहा कि कई रोहिंग्या मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्रों में बस गए हैं, जिनमें दक्षिणी शहर हैदराबाद, उत्तरी उत्तर प्रदेश, नई दिल्ली, और जम्मू-कश्मीर के विवादित हिमालयी क्षेत्र शामिल है।
यह अनुमान है कि 40,000 रोहिंग्या ने भारत के विभिन्न हिस्सों में शरण ली है लेकिन यू.एन. उच्चायुक्त के साथ 15,000 से भी कम शरणार्थी भारत में रेजिस्टर्ड हैं। आपके बता दे कि म्यांमार सेना द्वारा चलाए गए हिंसक और क्रूर अभियान से बचने के लिए रोहिन्ग्या दूसरे देशो में शरण लेने के लिए मजबूर हो गय़े। लगभग 700,000 के करीब रोहिंग्या, म्यामार से बांग्लादेश चले गए हैं।
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