‘अंधे होने का प्रॉब्लम तो सबको पता है, फायदे मैं बताता हूं.’‘
फिल्म में ये डायलॉग एक अंधे पियानो प्लेयर का है जिसका किरदार आयुष्मान खुराना निभा रहे हैं। अंधविश्वास अगर आपके दिमाग में बस जाए तो आप अपनी परछाई से भी डरने लगते हैं। श्रीराम राघवन की फिल्म अंधाधुंध देखकर आपको कुछ ऐसा ही अहसास होगा। आप लगातार धोखे से भरी दुनिया में खो जाएंगे और खुद पर भी विश्वास नहीं कर पाएंगे। यही इस फिल्म की सफलता है। शॉर्ट फ्रेंच फिल्म द पियानो ट्यूनर पर आधारित यह फिल्म ट्विस्ट से भरी पड़ी है। अंधाधुन में एंटिसिपेशन और टेंशन दोनों ही हैं।
इस फिल्म में कहानी धीरे-धीरे बुनना शुरू होती है. कहानी एक ऐसे संगीतकार आकाश की है, जो एक नेत्रहीन की तरह रहने लगता है. राधिका और आयुष्मान में प्यार होता है और फिर इस सुंदर प्रेम कहानी में एक दुर्घटना होती है और सब कुछ बदल जाता है। फिल्म का अगला किरदार हैं तब्बू जो अपनी शादी से खुश नही है औऱ इससे निकलने के लिए एक प्लान बनाती हैं। उसके इस जाल में आयुष्मान और राधिका भी फंस जाते हैं और इसके बाद शुरू होता है जुर्म से भरी दुनिया का अंधाधुंध खेल। इनके बीच से खुद को कौन बचा पाता है इसी का फैसला आखिरी तक फिल्म में होता है। फिल्म में म्यूजिक अमित त्रिवेदी का है, जो फिल्म को पूरा सपोर्ट कर रहा है। फिल्म की शूटिंग पुणे में हुई है और सुंदर शहर को सुंदरता से दिखाने का श्रेय सिनेमैटोग्राफर को जाता है। फिल्म की स्क्रिप्ट कहीं भी दर्शकों को उलझाती नहीं है।
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