सुप्रीम कोर्ट ने दीवाली से पहले पटाखों की बिक्री पर आज बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों को पूरी तरह से बैन नहीं किया है बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ग्रीन पटाखे (कम प्रदूषण वाले पटाखे) बनाने की अनुमति दी जाए और सिर्फ लाइसेंस धारक ही बेचे।” सुप्रीम कोर्ट ने ऑनलाइन पटाखों की बिक्री पर भी रोक लगा दी है। कोर्ट ने पटाखे जलाने का समय भी निर्धारित किया है। दिवाली, क्रिसमिस और न्यू इयर पर पटाखे रात 8 बजे से रात 10 बजे तक ही जलाए जा सकते हैं।
No ban on sale of firecrackers, but with certain conditions: Supreme Court pic.twitter.com/QSkmUX6CSk
सुप्रीम कोर्ट ने दीवाली से पहले पटाखों की बिक्री पर आज बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों को पूरी तरह से बैन नहीं किया है बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ग्रीन पटाखे (कम प्रदूषण वाले पटाखे) बनाने की अनुमति दी जाए और सिर्फ लाइसेंस धारक ही बेचे।” सुप्रीम कोर्ट ने ऑनलाइन पटाखों की बिक्री पर भी रोक लगा दी है। कोर्ट ने पटाखे जलाने का समय भी निर्धारित किया है। दिवाली, क्रिसमिस और न्यू इयर पर पटाखे रात 8 बजे से रात 10 बजे तक ही जलाए जा सकते हैं।कोर्ट ने देशभर में प्रशासन को आदेश दिया कि लगातार पटाखा बनाने की फैक्ट्री में जांच की जाए कि हानिकारक केमिकल का इस्तेमाल न हो। कोर्ट ने साफ किया कि ये आदेश दीवाली ही नहीं किसी भी धार्मिक और सामाजिक पर्व पर लागू होगा। 28 अगस्त को जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण ने दलील पूरी होने के बाद फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था।सरकार ने पहले भी पटाखों पर बैन लगाया था लेकिन बाद में हटा दिया गया था। बैन नवंबर, 2016 में पटाखों को सुप्रीम कोर्ट ने बैन कर दिया था हालांकि बाद में यह बैन प्रभावी नहीं रह गया। ऐसे ही पिछले साल भी सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर के इलाकों में पटाखे की बिक्री पर बैन लगा दिया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण के सही आंकड़े न पेश किए जाने और पटाखा विक्रेताओं के लाइसेंस का सही विवरण न दिए जाने के आधार पर कहा था कि यह साबित नहीं हो सका है कि पटाखे प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण हैं। ऐसे में इन्हें बैन नहीं किया जा सकता।साथ ही सरकार ने भी सीधे पटाखा बैन की बजाए, प्रदूषण नियंत्रण के दूसरे उपाय अपनाने की बात कही थी। न्यायालय ने केंद्र से प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिये उपाय सुझाने के लिए कहा था। कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा था कि पटाखे पर प्रतिबंध लगाने से जनता पर क्या प्रभाव पड़ेगा? वैसे इस मामले में पटाखा कारोबारियों ने कहा था कि पटाखों पर पूरी तरह बैन लगाने की बजाए इसके निर्माण, बिक्री और इस्तेमाल को लेकर कड़े नियम बनाए जाने चाहिए।
— ANI (@ANI) October 23, 2018
कोर्ट ने देशभर में प्रशासन को आदेश दिया कि लगातार पटाखा बनाने की फैक्ट्री में जांच की जाए कि हानिकारक केमिकल का इस्तेमाल न हो। कोर्ट ने साफ किया कि ये आदेश दीवाली ही नहीं किसी भी धार्मिक और सामाजिक पर्व पर लागू होगा। 28 अगस्त को जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण ने दलील पूरी होने के बाद फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था।
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सरकार ने पहले भी पटाखों पर बैन लगाया था लेकिन बाद में हटा दिया गया था। बैन नवंबर, 2016 में पटाखों को सुप्रीम कोर्ट ने बैन कर दिया था हालांकि बाद में यह बैन प्रभावी नहीं रह गया। ऐसे ही पिछले साल भी सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर के इलाकों में पटाखे की बिक्री पर बैन लगा दिया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण के सही आंकड़े न पेश किए जाने और पटाखा विक्रेताओं के लाइसेंस का सही विवरण न दिए जाने के आधार पर कहा था कि यह साबित नहीं हो सका है कि पटाखे प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण हैं। ऐसे में इन्हें बैन नहीं किया जा सकता।
The Supreme Court, in its order, banned the online sale of firecrackers and put a stay on the e-commerce portals from selling firecrackers. https://t.co/D6daxnGRqD
— ANI (@ANI) October 23, 2018