ठंडी सर्दियों की सुबह में अगर गर्मा-गर्म चाय किसे नहीं पसंद है औऱ अगर यह चाय मिट्टी के कुल्हड़ में हो तो बात ही बन जाए। पंद्रह साल पहले, तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने देश भर के रेलवे स्टेशनों पर कुल्हड़ की शुरुआत की थी। हालांकि धीरे-धीरे इन वर्षों में, ये मिट्टी के कुल्हड़ गायब होने लगे और जिससे प्लास्टिक और पेपर कप ने जगह ले ली।
लेकिन अब प्लास्टिक के उपयोग को कम करने की कोशिश में कुल्हड़ वापस आने के लिए बिल्कुल तैयार है। यदि आपने कभी इनमें से किसी एक में चाय पी है, तो आप इसे जुड़े स्वाद और सुगंध को जरूर पहचानते होंगे। उत्तर रेलवे और पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य वाणिज्यिक प्रबंधकों को बोर्ड द्वारा जारी एक परिपत्र में यह जानकारी दी गई है। इसमे कहा गया है कि वे स्थानीय रूप से उत्पादित, पर्यावरण-प्रेमी चीजों का उपयोग करे। वाराणसी और रायबरेली रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों को कप औऱ प्लेट टेराकोटा की दी जाए ताकि इससे वहाँ के टेराकोटा उत्पादकों को फायदा मिल सके।
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