आज हमारा देश 70वां गणतंत्र दिवस मना रहा है और भारत में 26 जनवरी कुछ खास महत्व रखता है। इसी दिन भारत का संविधान लागू हुआ था यानि देश में कानून के राज की शुरुआत हुई। इंडिया गेट पर राज्यों की झांकियां निकाली जाती हैं और राष्ट्रपति को 21 तोपों की सलामी दी जाती है। आइए जानते हैं कि इतिहास में ये दिन कैसा था और क्या अहमियत है इसकी।
कई सालों तक 26 जनवरी था स्वतंत्रता दिवस
वर्ष 1929 के दिसंबर महीने में लाहौर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ। इसकी अध्यक्षता पंडित जवाहरलाल नेहरू कर रहे थे। इस अधिवेशन में प्रस्ताव पास हुआ कि अगर अंग्रेजी हुकूमत 26 जनवरी 1930 तक भारत को डोमिनियन का पद नहीं देता है तो भारत खुद को पूरी तरह से स्वतंत्र घोषित कर देगा। जब 26 जनवरी 1930 तक जब अंग्रेज सरकार ने कुछ नहीं दिया तब कांग्रेस ने उस दिन भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के निश्चय की घोषणा की और अपना सक्रिय आंदोलन शुरू किया। इस दिन जवाहर लाल नेहरु ने लाहौर में रवि नदी के किनारे तिरंगा फहराया। उस दिन से 1947 में देश के आजाद होने तक 26 जनवरी स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता रहा।
वर्ष 1929 के दिसंबर महीने में लाहौर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ। इसकी अध्यक्षता पंडित जवाहरलाल नेहरू कर रहे थे। इस अधिवेशन में प्रस्ताव पास हुआ कि अगर अंग्रेजी हुकूमत 26 जनवरी 1930 तक भारत को डोमिनियन का पद नहीं देता है तो भारत खुद को पूरी तरह से स्वतंत्र घोषित कर देगा। जब 26 जनवरी 1930 तक जब अंग्रेज सरकार ने कुछ नहीं दिया तब कांग्रेस ने उस दिन भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के निश्चय की घोषणा की और अपना सक्रिय आंदोलन शुरू किया। इस दिन जवाहर लाल नेहरु ने लाहौर में रवि नदी के किनारे तिरंगा फहराया। उस दिन से 1947 में देश के आजाद होने तक 26 जनवरी स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता रहा।
26 नवंबर संविधान दिवस
भारत के आजाद होने के बाद संविधान सभा का गठन हुआ। संविधान सभा ने अपना काम 9 दिसंबर 1946 से शुरू किया। दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान 2 साल, 11 माह, 18 दिन में तैयार हुआ। संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को 26 नवंबर 1949 को भारत का संविधान सौंपा गया, इसलिए 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में प्रति वर्ष मनाया जाता है। संविधान सभा ने संविधान निर्माण के समय कुल 114 दिन बैठक की। इसकी बैठकों में प्रेस और जनता को भाग लेने की आजादी थी। अनेक सुधारों और बदलावों के बाद सभा के 308 सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 को संविधान की दो हस्तलिखित कॉपियों पर हस्ताक्षर किए। इसके दो दिन बाद संविधान 26 जनवरी को यह देश भर में लागू हो गया।
भारत के आजाद होने के बाद संविधान सभा का गठन हुआ। संविधान सभा ने अपना काम 9 दिसंबर 1946 से शुरू किया। दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान 2 साल, 11 माह, 18 दिन में तैयार हुआ। संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को 26 नवंबर 1949 को भारत का संविधान सौंपा गया, इसलिए 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में प्रति वर्ष मनाया जाता है। संविधान सभा ने संविधान निर्माण के समय कुल 114 दिन बैठक की। इसकी बैठकों में प्रेस और जनता को भाग लेने की आजादी थी। अनेक सुधारों और बदलावों के बाद सभा के 308 सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 को संविधान की दो हस्तलिखित कॉपियों पर हस्ताक्षर किए। इसके दो दिन बाद संविधान 26 जनवरी को यह देश भर में लागू हो गया।