आरबीआई ने अपनी तीन दिन चली बैठक के बाद आज रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट घटाने का फैसला लिया है। बता दे आरबीआई ने रेपो रेट 6.5 से घटाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया है। जबकि रिवर्स रेपो रेट भी घटाकर 6.00 प्रतिशत कर दिया गया है। रेपो रेट में कटौती से आम आदमी को राहत मिलने वाली है, अब होम लोन के ब्याज दरों में कटौती होगी।
खबरों की माने तो एमपीसी के 6 में से 4 सदस्यों ने रेपो रेट में कटौती के फैसले का समर्थन किया, जबकि विरल आचार्य और चेतन घाटे रेपो रेट में कटौती के पक्ष में नहीं थे। इस फैसले के बाद आम लोगों के लिए बैंक से कर्ज लेना सस्ता होने और EMI घटने की उम्मीद बढ़ गई है।
आरबीआई के फैसले के बाद घटी दर-
रेपो रेट-6.25%
रिवर्स रेपो रेट-6%
सीआरआर-4%
एसएलआर रेट 19.5%
एमएसएफ 6.5%
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आरबीआई ने अपनी तीन दिन चली बैठक के बाद आज रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट घटाने का फैसला लिया है। बता दे आरबीआई ने रेपो रेट 6.5 से घटाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया है। जबकि रिवर्स रेपो रेट भी घटाकर 6.00 प्रतिशत कर दिया गया है। रेपो रेट में कटौती से आम आदमी को राहत मिलने वाली है, अब होम लोन के ब्याज दरों में कटौती होगी।खबरों की माने तो एमपीसी के 6 में से 4 सदस्यों ने रेपो रेट में कटौती के फैसले का समर्थन किया, जबकि विरल आचार्य और चेतन घाटे रेपो रेट में कटौती के पक्ष में नहीं थे। इस फैसले के बाद आम लोगों के लिए बैंक से कर्ज लेना सस्ता होने और EMI घटने की उम्मीद बढ़ गई है।आरबीआई के फैसले के बाद घटी दर-रेपो रेट-6.25%रिवर्स रेपो रेट-6%सीआरआर-4%एसएलआर रेट 19.5%एमएसएफ 6.5%तीन दिनों तक चलने वाली बैठक के आखिरी दिन होने वाले ऐलान पर देशभर के कारोबारियों की नजर इसलिए भी रहती है कि वह मौजूदा समय में महंगाई का आकलन किस तरह कर रहा है। इसके अलावा केन्द्रीय बैंक केन्द्र सरकार की जारी और प्रस्तावित योजनाओं का सरकारी खजाने पर पड़ने वाले असर का भी आकलन करते हुए केन्द्र सरकार को सलाह देने का काम करता है। गौरतलब है कि बीते कुछ वर्षों के दौरान केन्द्र सरकार और रिजर्व बैंक के बीच मौद्रिक नीति को लेकर विवाद सामने आए हैं। इन विवादों के चलते पूर्व के गवर्नरों ने केन्द्र सरकार पर रिजर्व बैंक की स्वायत्तता को सुरक्षित रखने की बात कही है।रेपो रेट क्या है – जिस रेट पर आरबीआई कमर्शियल बैंकों और दूसरे बैंकों को लोन देता है, उसे रेपो रेट कहते हैं। रेपो रेट कम होने का मतलब यह है कि बैंक से मिलने वाले लोन सस्ते हो जाएंगे। रेपो रेट कम हाने से होम लोन, व्हीकल लोन वगैरह सभी सस्ते हो जाते हैं।रिवर्स रेपो रेट क्या है- जिस रेट पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं। रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी को नियंत्रित करने में काम आती है। बहुत ज्यादा नकदी होने पर आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देती है।एसएलआर क्या है- जिस रेट पर बैंक अपना पैसा सरकार के पास रखते हैं, उसे एसएलआर कहते हैं। नकदी को नियंत्रित करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। कमर्शियल बैंकों को एक खास रकम जमा करानी होती है, जिसका इस्तेमाल किसी इमरजेंसी लेन-देन को पूरा करने में किया जाता है।सीआरआर क्या है- बैंकिंग नियमों के तहत सभी बैंक को अपनी कुल नकदी का एक निश्चित रकम रिजर्व बैंक के पास जमा करनी होती है, जिसे कैश रिजर्व रेशियो यानी सीआरआर कहते हैं।एमएसएफ क्या है- आरबीआई ने इसकी शुरुआत साल 2011 में की थी। एमएसएफ के तहत कमर्शियल बैंक एक रात के लिए अपने कुल जमा का 1 फीसदी तक लोन ले सकते हैं।
तीन दिनों तक चलने वाली बैठक के आखिरी दिन होने वाले ऐलान पर देशभर के कारोबारियों की नजर इसलिए भी रहती है कि वह मौजूदा समय में महंगाई का आकलन किस तरह कर रहा है। इसके अलावा केन्द्रीय बैंक केन्द्र सरकार की जारी और प्रस्तावित योजनाओं का सरकारी खजाने पर पड़ने वाले असर का भी आकलन करते हुए केन्द्र सरकार को सलाह देने का काम करता है। गौरतलब है कि बीते कुछ वर्षों के दौरान केन्द्र सरकार और रिजर्व बैंक के बीच मौद्रिक नीति को लेकर विवाद सामने आए हैं। इन विवादों के चलते पूर्व के गवर्नरों ने केन्द्र सरकार पर रिजर्व बैंक की स्वायत्तता को सुरक्षित रखने की बात कही है।
रेपो रेट क्या है – जिस रेट पर आरबीआई कमर्शियल बैंकों और दूसरे बैंकों को लोन देता है, उसे रेपो रेट कहते हैं। रेपो रेट कम होने का मतलब यह है कि बैंक से मिलने वाले लोन सस्ते हो जाएंगे। रेपो रेट कम हाने से होम लोन, व्हीकल लोन वगैरह सभी सस्ते हो जाते हैं।
रिवर्स रेपो रेट क्या है- जिस रेट पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं। रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी को नियंत्रित करने में काम आती है। बहुत ज्यादा नकदी होने पर आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देती है।
एसएलआर क्या है- जिस रेट पर बैंक अपना पैसा सरकार के पास रखते हैं, उसे एसएलआर कहते हैं। नकदी को नियंत्रित करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। कमर्शियल बैंकों को एक खास रकम जमा करानी होती है, जिसका इस्तेमाल किसी इमरजेंसी लेन-देन को पूरा करने में किया जाता है।
सीआरआर क्या है- बैंकिंग नियमों के तहत सभी बैंक को अपनी कुल नकदी का एक निश्चित रकम रिजर्व बैंक के पास जमा करनी होती है, जिसे कैश रिजर्व रेशियो यानी सीआरआर कहते हैं।
एमएसएफ क्या है- आरबीआई ने इसकी शुरुआत साल 2011 में की थी। एमएसएफ के तहत कमर्शियल बैंक एक रात के लिए अपने कुल जमा का 1 फीसदी तक लोन ले सकते हैं।
#WATCH RBI Governor addresses the media on Monetary Policy https://t.co/0fPJFbfY8B
— ANI (@ANI) February 7, 2019