मोदी सरकार ने एक बार फिर से तीन तलाक बिल को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में इस बिल की मंजूरी दी गई। ये बिल दूसरी बार लाया गया है। इससे जुड़ा बिल राज्य सभा में पेंडिंग है, लेकिन अब संसद सत्र लोकसभा चुनावों के बाद ही होगा। ऐसे में सरकार ने अध्यादेश लाने का फैसला किया।
इसकी जानकारी न्यूज़ एजेंसी एएनआई ने ट्वीट कर दी है। इस बिल के तहत एक बार में तीन तलाक देना गैरकानूनी और अमान्य होगा और ऐसा करने वाले को तीन साल तक की सजा हो सकती है। यह अपराध तब संज्ञेय होगा, जब विवाहित मुस्लिम महिला या फिर उसका करीबी रिश्तेदार उस व्यक्ति के खिलाफ सूचना देगा, जिसने तत्काल तीन तलाक दिया है।
The Union Cabinet has also approved the #TripleTalaq ordinance. https://t.co/w28GEAgIln
मोदी सरकार ने एक बार फिर से तीन तलाक बिल को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में इस बिल की मंजूरी दी गई। ये बिल दूसरी बार लाया गया है। इससे जुड़ा बिल राज्य सभा में पेंडिंग है, लेकिन अब संसद सत्र लोकसभा चुनावों के बाद ही होगा। ऐसे में सरकार ने अध्यादेश लाने का फैसला किया।इसकी जानकारी न्यूज़ एजेंसी एएनआई ने ट्वीट कर दी है। इस बिल के तहत एक बार में तीन तलाक देना गैरकानूनी और अमान्य होगा और ऐसा करने वाले को तीन साल तक की सजा हो सकती है। यह अपराध तब संज्ञेय होगा, जब विवाहित मुस्लिम महिला या फिर उसका करीबी रिश्तेदार उस व्यक्ति के खिलाफ सूचना देगा, जिसने तत्काल तीन तलाक दिया है।आपको बता दें पिछले साल दिसंबर में तीन तलाक बिल (2018) को लोकसभा ने पारित कर दिया था। इस बिल को लेकर सदन में लंबी बहस हुई थी। विपक्ष की मांग है कि मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2018 को सेलेक्ट कमिटी को भेजा जाए। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने भी तीन तलाक से संबंधित विधेयक के महिला विरोधी होने का आरोप लगाया है।राज्यसभा का आखिरी सत्र 13 फरवरी को मोदी सरकार के लिए समाप्त हो गया था। जिसके साथ ही लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र महत्वपूर्ण माना जा रहा ट्रिपल तलाक बिल भी रद्द हो गया था।
— ANI (@ANI) February 19, 2019
आपको बता दें पिछले साल दिसंबर में तीन तलाक बिल (2018) को लोकसभा ने पारित कर दिया था। इस बिल को लेकर सदन में लंबी बहस हुई थी। विपक्ष की मांग है कि मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2018 को सेलेक्ट कमिटी को भेजा जाए। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने भी तीन तलाक से संबंधित विधेयक के महिला विरोधी होने का आरोप लगाया है।
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