जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के सदस्य देशों ने कड़ी निंदा की है। भारत के प्रस्ताव पर UNSC के 5 देशों (स्थाई सदस्यों) और 10 अस्थाई सदस्यों ने इस हमले की निंदा की, इनमें चीन भी शामिल है। आतंकवाद के खिलाफ जो रिजोल्यूशन पारित किया है उसमें चीन ने पाकिस्तान का साथ छोड़ते हुए भारत का समर्थन किया है। इस रिजोल्यूशन में जैश-ए-मोहम्मद का भी जिक्र था। पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इसकी जिम्मेदारी ली है।
सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने जवानों के पीड़ित परिवारों, घायल लोगों और भारत सरकार के प्रति गहरी सहानुभूति और सांत्वना जाहिर की है। हमले में जख्मी जवानों के जल्द स्वस्थ होने की कामना की गई है। सुरक्षा परिषद के देशों ने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद किसी रूप में हो, उसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता क्योंकि यह वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है।
साथ ही, सुरक्षा परिषद के देशों ने इन जरूरतों पर बल दिया कि आतंकवाद के साजिशकर्ताओं, आयोजकों और फंड देने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। जो लोग और संगठन ऐसे कारनामों के लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें इंसाफ के कठघरे में खड़ा करने की जरूरत बताई गई। इन देशों ने अपील की है कि अंतरराष्ट्रीय नियम-कानून और सुरक्षा परिषद के संबंधित प्रस्तावों के तहत एक दूसरे की मदद करते हुए आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
Pakistan comes under international pressure to act against terrorists & terror groups operating from areas under its control & to take action against those responsible for Pulwama attack. UNSC strongly condemns cowardly suicide bombing in #Pulwama by JeM. #TimeToAct pic.twitter.com/WRTkGuCt20
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के सदस्य देशों ने कड़ी निंदा की है। भारत के प्रस्ताव पर UNSC के 5 देशों (स्थाई सदस्यों) और 10 अस्थाई सदस्यों ने इस हमले की निंदा की, इनमें चीन भी शामिल है। आतंकवाद के खिलाफ जो रिजोल्यूशन पारित किया है उसमें चीन ने पाकिस्तान का साथ छोड़ते हुए भारत का समर्थन किया है। इस रिजोल्यूशन में जैश-ए-मोहम्मद का भी जिक्र था। पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इसकी जिम्मेदारी ली है।सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने जवानों के पीड़ित परिवारों, घायल लोगों और भारत सरकार के प्रति गहरी सहानुभूति और सांत्वना जाहिर की है। हमले में जख्मी जवानों के जल्द स्वस्थ होने की कामना की गई है। सुरक्षा परिषद के देशों ने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद किसी रूप में हो, उसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता क्योंकि यह वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है।साथ ही, सुरक्षा परिषद के देशों ने इन जरूरतों पर बल दिया कि आतंकवाद के साजिशकर्ताओं, आयोजकों और फंड देने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। जो लोग और संगठन ऐसे कारनामों के लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें इंसाफ के कठघरे में खड़ा करने की जरूरत बताई गई। इन देशों ने अपील की है कि अंतरराष्ट्रीय नियम-कानून और सुरक्षा परिषद के संबंधित प्रस्तावों के तहत एक दूसरे की मदद करते हुए आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।सुरक्षा परिषद के देशों ने दोहराया कि कोई भी आतंकी कार्रवाई आपराधिक और अनुचित है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि इसके पीछे मंशा क्या थी या किसने, कब और कहां इसे अंजाम दिया गया। इन देशों ने कहा कि सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर में निहित कानूनों के मुताबिक कार्रवाई करनी चाहिए। अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार कानून, अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी कानून और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों को ध्यान में रखते हुए दुनिया के अमन-चैन के खिलाफ काम करने वाली आतंकी शक्तियों पर लगाम लगानी चाहिए।आपको बता दे कि 1989 में आतंकवाद शुरू होने के बाद से अब तक के सबसे भयानक हमले में पुलवामा में जैश-ए-मोहम्मद के एक फिदायीन हमलावर ने विस्फोटकों से भरी अपनी एसयूवी को सीआरपीएफ की बस से टक्कर मार दी थी, जिसमें कम से कम 40 जवान मौके पर ही शहीद हो गए. हमले में कुछ जवान गंभीर रूप से घायल भी हैं।
— Arindam Bagchi (@MEAIndia) February 22, 2019
सुरक्षा परिषद के देशों ने दोहराया कि कोई भी आतंकी कार्रवाई आपराधिक और अनुचित है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि इसके पीछे मंशा क्या थी या किसने, कब और कहां इसे अंजाम दिया गया। इन देशों ने कहा कि सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर में निहित कानूनों के मुताबिक कार्रवाई करनी चाहिए। अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार कानून, अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी कानून और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों को ध्यान में रखते हुए दुनिया के अमन-चैन के खिलाफ काम करने वाली आतंकी शक्तियों पर लगाम लगानी चाहिए।
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