अजय चौधरी
अब मल्टीटेलेंट का जमाना है, देश को अब सिर्फ नेता नहीं चाहिए, उसमें उसे अब अच्छी पटकथा लिखने वाले से लेकर एक अच्छा अभिनेता भी चाहिए। जो हर रोल में फिट हो सके। प्रोफेशन है क्या कुछ नहीं करना पड़ता, आसूं बहाने से लेकर गले तक पड़ना पड़ता है। और अब तो डुबकी लगा पैर तक पड़ने का समय आ गया है।
हमारी राजनीति में ऐसे मल्टीटेलेंट एक्टर्स की काफी कमी है। इसलिए कुछ ही एक्टर्स की तूती बोल रही है। एनएसडी के कलाकरों को इस नए क्षेत्र की तरफ भी देखना चाहिए और असल जिंदगी भी कलाकारों की तरह जीने की कला सीख लेनी चाहिए। उनके लिए नए रास्ते खुले हैं। क्योकिं राजनीति में कला का काम अब सिर्फ झूठे वादे करने तक सीमित नहीं रह गया है, जमाने के साथ इसमें बहुत कुछ नया जुड़ गया है। दुनिया के बड़े विश्विद्यालयों को अब राजनीति के नए पाठ्यक्रम बना उन्हें अपने कोर्स में शामिल करना चहिए और अच्छे राजनीतिक कलाकार दुनिया को सौंपने चाहिए।
पीएम मोदी ने सफाईकर्मियों के धोए पैर, कुंभ में लगाई डुबकी
अजय चौधरीअब मल्टीटेलेंट का जमाना है, देश को अब सिर्फ नेता नहीं चाहिए, उसमें उसे अब अच्छी पटकथा लिखने वाले से लेकर एक अच्छा अभिनेता भी चाहिए। जो हर रोल में फिट हो सके। प्रोफेशन है क्या कुछ नहीं करना पड़ता, आसूं बहाने से लेकर गले तक पड़ना पड़ता है। और अब तो डुबकी लगा पैर तक पड़ने का समय आ गया है।हमारी राजनीति में ऐसे मल्टीटेलेंट एक्टर्स की काफी कमी है। इसलिए कुछ ही एक्टर्स की तूती बोल रही है। एनएसडी के कलाकरों को इस नए क्षेत्र की तरफ भी देखना चाहिए और असल जिंदगी भी कलाकारों की तरह जीने की कला सीख लेनी चाहिए। उनके लिए नए रास्ते खुले हैं। क्योकिं राजनीति में कला का काम अब सिर्फ झूठे वादे करने तक सीमित नहीं रह गया है, जमाने के साथ इसमें बहुत कुछ नया जुड़ गया है। दुनिया के बड़े विश्विद्यालयों को अब राजनीति के नए पाठ्यक्रम बना उन्हें अपने कोर्स में शामिल करना चहिए और अच्छे राजनीतिक कलाकार दुनिया को सौंपने चाहिए।यहां कॉम्पिटिशन चल रहा है कि कौन कितना बड़ा कलाकार है। चुनाव होने तक कॉम्पिटिशन ऐसे ही चलेगा। रोज ऐसे ही नेटफ्लिक्स और ऐमज़ॉन की वेब सीरीज के नए नए एपिसोड आएंगे और हर चैनल पर दिखाएं भी जाएंगे। साथ में गला फाड़ बताया भी जाएगा कि ये देश के लिए है।आम जनता जब इमोशन से ऊपर उठ सोचना शुरू करेगी तबतक काफी देर हो चुकी होगी। कुछ बाबाओं का पर्दाफाश होने के बाद कुछ अंधभक्तों की आंखे खुली हैं। कुछ का अभी भी बाबाओं में पूरा भरोसा है। कुछ जगह बाबाओं की एक्टिंग अब काम नहीं आ रही पर राजनीति में एक्टिंग का अभी शुरुआती दौर है। ये कितनी लंबी चले कुछ कहा नहीं जा सकता।“ये लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में सभी सूचनाएं लेखक द्वारा दी गई हैं, जिन्हें ज्यों की त्यों प्रस्तुत किया गया हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति दस्तक इंडिया उत्तरदायी नहीं है।”
यहां कॉम्पिटिशन चल रहा है कि कौन कितना बड़ा कलाकार है। चुनाव होने तक कॉम्पिटिशन ऐसे ही चलेगा। रोज ऐसे ही नेटफ्लिक्स और ऐमज़ॉन की वेब सीरीज के नए नए एपिसोड आएंगे और हर चैनल पर दिखाएं भी जाएंगे। साथ में गला फाड़ बताया भी जाएगा कि ये देश के लिए है।
आम जनता जब इमोशन से ऊपर उठ सोचना शुरू करेगी तबतक काफी देर हो चुकी होगी। कुछ बाबाओं का पर्दाफाश होने के बाद कुछ अंधभक्तों की आंखे खुली हैं। कुछ का अभी भी बाबाओं में पूरा भरोसा है। कुछ जगह बाबाओं की एक्टिंग अब काम नहीं आ रही पर राजनीति में एक्टिंग का अभी शुरुआती दौर है। ये कितनी लंबी चले कुछ कहा नहीं जा सकता।