भारत-पाकिस्तान के बीच चल रही लड़ाई के दौरान भी भारतीय पायलट अभिनंदन को पाकिस्तान हाथ तक नहीं लगा सकता। क्योंकि पाकिस्तानी सेना ने मीडिया के सामने स्वीकार किया कि भारतीय वायु सेना का एक पायलट उसके कब्जे में है। ये ही वजह है कि जिनेवा युद्ध बंदी एक्ट के तहत पाकिस्तान को हमारे पायलट को रिहा करने जा रहा है। इसी वजह से पाकिस्तानी सेना ने हमारे पायलट अभिनंदन को छुआ भी नहीं। क्योंकि हिरासत के दौरान पायलट को चोट लगने का मतलब होगा जेनेवा संधि का उल्लघंन और ये एक क्रीमिनल केस के रूप में दर्ज होगा।
तो वही खबरों के अनुसार, मेजर जनरल केके सिन्हा ने कहा कि अगर हमारे पायलट को कुछ भी होता तो ये जेनेवा एक्ट का उल्लघंन होता और इंटरनेशनल लेवल पर ये एक क्रीमिनल केस भी बनता। 7 दिन बाद ही पाकिस्तान ने नचिकेता को हमें सही-सलामत लौटाया था। ऐसा ही हमारे मिग के पायलट के साथ भी होगा। वर्ना जेनेवा एक्ट का उल्लंघन पाकिस्तान को बहुत भारी पड़ेगा। दूसरी बात ये कि मेडिकल सुविधा भी उस पायलट को वैसी ही मिलती जैसे डयूटी के दौरान अपने देश में मिलती है।
साथ ही आगे विंग कमांडर रिटायर्ड एके सिंह ने बताया कि कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय वायुसेना के फाइटर पायलट नचिकेता पाकिस्तान के कब्जे में चले गए थे। वह कारगिल वार के अकेले युद्धबंदी थे उनकी रिहाई के लिए भारत सरकार ने कोशिश की। तब उन्हें रेडक्रॉस के हवाले कर दिया गया, जो उन्हें भारत वापस लेकर आई। बताया गया है कि जेनेवा संधि के तहत युद्धबंदी को अधिकार मिलते हैं।
इसके तहत युद्धबंदी से कुछ पूछने के लिए उसके साथ जबरदस्ती नहीं की जा सकती। उनके खिलाफ धमकी या दबाव का इस्तेमाल नहीं हो सकता। पर्याप्त खाने और पानी का इंतजाम करना उन्हें बंधक रखने वालों की जिम्मेदारी होगी। उन्हें वही मेडिकल सुविधाएं भी हासिल होंगी जो भारत मुहैया करवाता।
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भारत-पाकिस्तान के बीच चल रही लड़ाई के दौरान भी भारतीय पायलट अभिनंदन को पाकिस्तान हाथ तक नहीं लगा सकता। क्योंकि पाकिस्तानी सेना ने मीडिया के सामने स्वीकार किया कि भारतीय वायु सेना का एक पायलट उसके कब्जे में है। ये ही वजह है कि जिनेवा युद्ध बंदी एक्ट के तहत पाकिस्तान को हमारे पायलट को रिहा करने जा रहा है। इसी वजह से पाकिस्तानी सेना ने हमारे पायलट अभिनंदन को छुआ भी नहीं। क्योंकि हिरासत के दौरान पायलट को चोट लगने का मतलब होगा जेनेवा संधि का उल्लघंन और ये एक क्रीमिनल केस के रूप में दर्ज होगा।तो वही खबरों के अनुसार, मेजर जनरल केके सिन्हा ने कहा कि अगर हमारे पायलट को कुछ भी होता तो ये जेनेवा एक्ट का उल्लघंन होता और इंटरनेशनल लेवल पर ये एक क्रीमिनल केस भी बनता। 7 दिन बाद ही पाकिस्तान ने नचिकेता को हमें सही-सलामत लौटाया था। ऐसा ही हमारे मिग के पायलट के साथ भी होगा। वर्ना जेनेवा एक्ट का उल्लंघन पाकिस्तान को बहुत भारी पड़ेगा। दूसरी बात ये कि मेडिकल सुविधा भी उस पायलट को वैसी ही मिलती जैसे डयूटी के दौरान अपने देश में मिलती है।साथ ही आगे विंग कमांडर रिटायर्ड एके सिंह ने बताया कि कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय वायुसेना के फाइटर पायलट नचिकेता पाकिस्तान के कब्जे में चले गए थे। वह कारगिल वार के अकेले युद्धबंदी थे उनकी रिहाई के लिए भारत सरकार ने कोशिश की। तब उन्हें रेडक्रॉस के हवाले कर दिया गया, जो उन्हें भारत वापस लेकर आई। बताया गया है कि जेनेवा संधि के तहत युद्धबंदी को अधिकार मिलते हैं।इसके तहत युद्धबंदी से कुछ पूछने के लिए उसके साथ जबरदस्ती नहीं की जा सकती। उनके खिलाफ धमकी या दबाव का इस्तेमाल नहीं हो सकता। पर्याप्त खाने और पानी का इंतजाम करना उन्हें बंधक रखने वालों की जिम्मेदारी होगी। उन्हें वही मेडिकल सुविधाएं भी हासिल होंगी जो भारत मुहैया करवाता।लेकिन भारतीय पायलट अभिनंदन की रिहाई को लेकर पाक पीएम कह रहे है कि वो दोनों देशों के बीच चल रहे तनाव को कम करना चाहते है। आप खुद देख सकते है पाकिस्तान चारों तरफ से घिरा हुआ है। इसी वजह से पाक शांति की दुहाई लगाकर खुद को एक मसीहा बनाना चाहता है।
लेकिन भारतीय पायलट अभिनंदन की रिहाई को लेकर पाक पीएम कह रहे है कि वो दोनों देशों के बीच चल रहे तनाव को कम करना चाहते है। आप खुद देख सकते है पाकिस्तान चारों तरफ से घिरा हुआ है। इसी वजह से पाक शांति की दुहाई लगाकर खुद को एक मसीहा बनाना चाहता है।
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