चुनाव आयोग ने आने वाले लोकसभा चुनावों में खड़े सभी उम्मीदवारों के लिए एक नई घोषणा की गई थी, जिस घोषणा में कहा गया कि अगर किसी पार्टी के उम्मीदवार पर कोई भी क्रिमिनल केस दर्ज है तो वह उसे छिपा नहीं पाएंगा। इतना ही नहीं, क्रिमिनल उम्मीदवार को खुद ही अपने अपराधों का विज्ञापन अखबार और टीवी पर देकर बताना होगा कि मैं अपराधी हूं और किस तरह के अपराध किये है उनकी भी जानकारी देनी होगी।
2014 में नेशनल इलेक्शन वाच और एडीआर की एक रिपोर्ट में कहा गया कि 2014 की लोकसभा में हर तीसरे सांसद पर क्रिमिनल केस दर्ज था। देशभर में मौजूद 4856 विधायकों और सांसदों में से 21 फीसदी यानी 1024 पर क्रिमिनल केस वाले थे। इन 1024 में से 6 फ़ीसदी यानी 64 जनप्रतिनिधियों के खिलाफ अपहरण के मामले दर्ज थे। इनमें 56 विधायक और 8 सांसद शामिल थे। चौंकाने वाली बात तो ये है कि इन क्रिमिनल केस में अधिकतर विधायक-सांसद बीजेपी पार्टी के थे।
एनडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक़, बिहार और उत्तरप्रदेश के विधायकों पर सबसे ज्यादा अपहरण के केस चल रहे थे। तो वही, दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र है, जिसमें 8 विधायकों पर अपहरण का केस रहा था। इसके बाद पश्चिम बंगाल, ओडिशा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, पंजाब और तेलंगाना का नंबर है। एनडीआर और एनईडब्ल्यू की रिपोर्ट में लोकसभा के 5 और राजसभा के 3 संसद ने अपने खिलाफ दर्ज अपहरण के मामले घोषित किये थे।
लोकसभा चुनाव: उम्मीदवारों को विज्ञापन देकर खुद बताना होगा ‘मैं अपराधी हूं’
रिपोर्ट बताती है कि जनता द्वारा चुनकर संसद पहुंचे कुल 34 प्रतिशत (186) सांसदों ने अपने शपथ पत्र में खुलासा किया था कि उन पर क्रिमिनल केस दर्ज हैं। वहीं 2009 की संसद में ऐसे सांसदों की संख्या थी 30 प्रतिशत थी। इनके खिलाफ हत्या, हत्या का प्रयास, सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने, अपहरण, महिलाओं के खिलाफ अपराध जैसे गंभीर केस दर्ज हैं। पिछले पांच साल में पार्टियों ने महिलाओं पर आपराधिक मामले वाले 334 लोगों को टिकट दिया। इनमें से 40 लोकसभा और 294 विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी थे। इस दौरान महिलाओं पर आपराधिक मामले वाले 122 निर्दलीयों ने भी लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़े। अब देखना ये है कि चुनाव आयोग द्वारा की इस घोषणा के बाद कितने क्रिमिनल उम्मीदवार निकलकर जनता के सामने आएंगे।
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