भारत फिर से अपना दूसरा स्वदेशी चंद्रयान-2 मिशन चांद पर भेजने वाला है। इसरो ने इससे जुड़ी सभी जानकारियां दे दी है। जुलाई में लॉन्च होने वाला यह चंद्रयान-2 मिशन अपने साथ 13 पेलोड ले जाने वाला है। ये 10 साल पहले भेजे गए चंद्रयान-1 मिशन का एडवांस वर्जन है। इसमें से एक पेलोड अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA का भी होगा।
जाने इस स्पेसक्राफ्ट में और क्या-क्या होगा
इन 13 भारतीय पेलोड में 8 ऑर्बिटर, 3 लैंडर और 2 रोवर होंगे। इसके अलावा NASA का एक पैसिव एक्सपेरिमेंट होगा। इसरो ने मिशन के बारे में यह जानकारियां जारी की हैं। हालांकि इन सभी पेलोड के काम को लेकर विस्तार से जानकारियां नहीं दी हैं। यह पूरा स्पेसक्राफ्ट कुल मिलाकर 3.8 टन वजनी होगा।
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भारत फिर से अपना दूसरा स्वदेशी चंद्रयान-2 मिशन चांद पर भेजने वाला है। इसरो ने इससे जुड़ी सभी जानकारियां दे दी है। जुलाई में लॉन्च होने वाला यह चंद्रयान-2 मिशन अपने साथ 13 पेलोड ले जाने वाला है। ये 10 साल पहले भेजे गए चंद्रयान-1 मिशन का एडवांस वर्जन है। इसमें से एक पेलोड अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA का भी होगा।जाने इस स्पेसक्राफ्ट में और क्या-क्या होगाइन 13 भारतीय पेलोड में 8 ऑर्बिटर, 3 लैंडर और 2 रोवर होंगे। इसके अलावा NASA का एक पैसिव एक्सपेरिमेंट होगा। इसरो ने मिशन के बारे में यह जानकारियां जारी की हैं। हालांकि इन सभी पेलोड के काम को लेकर विस्तार से जानकारियां नहीं दी हैं। यह पूरा स्पेसक्राफ्ट कुल मिलाकर 3.8 टन वजनी होगा।चांद पर कहां जाएगा और कैसे काम करेगा इसरो के चेयरमैन के सिवान ने बताया था कि हम चांद पर एक ऐसी जगह जा रहे हैं, जो अभी तक दुनिया से अछूती रही है। यह है चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव। वहीं अंतरिक्ष विभाग की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि इस मिशन के दौरान ऑर्बिटर और लैंडर आपस में जुड़े हुए होंगे। इन्हें इसी तरह से GSLV MK III लॉन्च व्हीकल के अंदर लगाया जाएगा। रोवर को लैंडर के अंदर रखा जाएगा। लॉन्च के बाद पृथ्वी की कक्षा से निकलकर यह रॉकेट चांद की कक्षा में पहुंचेगा। इसके बाद धीरे-धीरे लैंडर, ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा। इसके बाद यह चांद के दक्षिणी ध्रुव के आस-पास एक पूर्वनिर्धारित जगह पर उतरेगा। बाद में रोवर वैज्ञानिक परीक्षणों के लिए चंद्रमा की सतह पर निकल जाएगा।किस उद्देश्य से भेजा जा रहा है यह मिशनचंद्रमा पर भेजा जा रहा भारत का दूसरा मिशन चंद्रयान- 2, चंद्रमा की सतह पर कुछ खास खनिजों को खोजने के लिए जाएगा। चंद्रयान-2, ISRO के चांद पर भेजे गए पहले मिशन के 10 सालों बाद जा रहा है। इसरो ने अपना चंद्रयान-1 मिशन, वर्ष 2009 में भेजा था। इस मिशन में भी एक चंद्रमा का चक्कर लगाने वाला ऑर्बिटर और एक इम्पैक्टर था। लेकिन इस मिशन में चंद्रयान-2 की तरह का रोवर नहीं था, जो चंद्रमा पर घूम-घूमकर खनिजों के नमूने जुटा सके। हालांकि फिर भी इस मिशन को चांद की सतह पर पानी के नमूने खोजने का श्रेय दिया जाता है।
चांद पर कहां जाएगा और कैसे काम करेगा
इसरो के चेयरमैन के सिवान ने बताया था कि हम चांद पर एक ऐसी जगह जा रहे हैं, जो अभी तक दुनिया से अछूती रही है। यह है चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव। वहीं अंतरिक्ष विभाग की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि इस मिशन के दौरान ऑर्बिटर और लैंडर आपस में जुड़े हुए होंगे। इन्हें इसी तरह से GSLV MK III लॉन्च व्हीकल के अंदर लगाया जाएगा। रोवर को लैंडर के अंदर रखा जाएगा। लॉन्च के बाद पृथ्वी की कक्षा से निकलकर यह रॉकेट चांद की कक्षा में पहुंचेगा। इसके बाद धीरे-धीरे लैंडर, ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा। इसके बाद यह चांद के दक्षिणी ध्रुव के आस-पास एक पूर्वनिर्धारित जगह पर उतरेगा। बाद में रोवर वैज्ञानिक परीक्षणों के लिए चंद्रमा की सतह पर निकल जाएगा।
#ISROMissions
Benefits of #Chandrayaan2 pic.twitter.com/JCyJdDIGWk
— ISRO (@isro) May 15, 2019
#ISROmissions
Take a look at the challenging #Chandrayaan2 mission, a sequel to the successful #Chandrayaan1.
#Chandrayaan2 will carry 13 Indian Payloads and one passive experiment from NASA.
Stay tuned for more updates. pic.twitter.com/OjoQjV4saM
— ISRO (@isro) May 15, 2019
किस उद्देश्य से भेजा जा रहा है यह मिशन
चंद्रमा पर भेजा जा रहा भारत का दूसरा मिशन चंद्रयान- 2, चंद्रमा की सतह पर कुछ खास खनिजों को खोजने के लिए जाएगा। चंद्रयान-2, ISRO के चांद पर भेजे गए पहले मिशन के 10 सालों बाद जा रहा है। इसरो ने अपना चंद्रयान-1 मिशन, वर्ष 2009 में भेजा था। इस मिशन में भी एक चंद्रमा का चक्कर लगाने वाला ऑर्बिटर और एक इम्पैक्टर था। लेकिन इस मिशन में चंद्रयान-2 की तरह का रोवर नहीं था, जो चंद्रमा पर घूम-घूमकर खनिजों के नमूने जुटा सके। हालांकि फिर भी इस मिशन को चांद की सतह पर पानी के नमूने खोजने का श्रेय दिया जाता है।
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