17वीं लोकसभा की 542 सीटों के लिए सात चरणों में हुए चुनाव की काउंटिंग गुरुवार यानी आज सुबह आठ बजे से शुरू हो चुकी है। इस चुनाव की मतगणना के लिए देशभर में पहली बार वीवीपैट का इस्तेमाल हुआ जिसकी वजह से नतीजे आने में कुछ घंटों की देरी होगी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आइये बताते है कि लोकसभा चुनाव की मतगणना की प्रक्रिया कैसे होती है…
वोट काउंटिंग से पहले रिटर्निंग अफ़सर और उनके सहायक सबके सामने वोटों की गोपनीयता की शपथ लेते हैं। काउंटिंग शुरू होने के पहले रिटर्निंग अफ़सर की मौजूदगी में सभी ईवीएम की जांच की जाती है। वही, राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को अपने काउंटिंग एजेंटों के साथ काउंटिंग सेंटर में मौजूद रहने का अधिकार होता है। काउंटिंग एजेंट वोटों की गिनती को देख सकते हैं।
इस प्रकिया के बाद पोस्टल बैलट की गिनती की जाती है और इसके बाद ईवीएम की गणना शुरू की जाती है। वोटिंग सेंटर्स में रखे गए ईवीएम को ऑन करने के बाद उसमें पड़े कुल वोटों और फिर अलग-अलग उम्मीदवारों को मिले वोटों को दर्ज किया जाता है। इसके बाद सभी मतदान केंद्रों की ईवीएम के आंकड़ों को आपस में जोड़ दिया जाता है।
यदि कोई प्रत्याशी या उसका एजेंट आपत्ति दर्ज करता है तो दोबारा गिनती की जा सकती है, हालांकि यह फैसला चुनाव अधिकारी का होता है। उसके बाद फाइनल वोटों की संख्या जारी की जाती है। इस संख्या को बाहर मीडिया के लिए भेज दिया जाता है। वहीं अगर बिना शिकायत के वोटों की गिनती हो जाती है तो रिटर्निंग ऑफिसर काउंटिंग पूरी होने की घोषणा करता है। ऐसे ही हर बूथ लेवल पर वोटों की गिनती की जाती है और बाद में फाइनल नतीजे जारी किए जाते हैं।
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दरअसल इस बार सुप्रीम कोर्ट ने हर विधानसभा क्षेत्र में कम से कम 5 बूथ के ईवीएम और वीवीपैट की पर्चियों के मिलान करने का आदेश दिया था, जिसके बाद से वीवीपैट का मिलान किया जाएगा। आयोग ने इस लोकसभा चुनाव में ईवीएम और वीवीपैट के मिलान को पांच गुना बढ़ा दिया। कोर्ट ने कहा कि प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में 5 वीवीपैट का ईवीएम से मिलान किया जाएगा। अभी सिर्फ एक का वीवीपैट मिलान होता था। अब चुनाव आयोग को 20,625 ईवीएम और वीवीपैट का मिलान करना होगा। इस वजह से फाइनल रिजल्ट आने में थोड़ी देर भी हो सकती है।