अजय चौधरी
धोनी देशभक्त हैं, उन्होंने ये बताने के लिए क्रिकेट का मैदान चुना है। क्रिकेट के नियम ताक पर रखकर वो क्रिकेट खेले रहे हैं तो क्या खेल रहे हैं? देश के लिए अपने इमोशन अपनी जगह है। लेकिन क्या धोनी जो चौथा विश्वकप खेलने निकले हैं क्या अब वो क्रिक्रेट के नियम नहीं जानते? विवाद धोनी के दस्तानों में लगे इंडियन आर्मी के चिह्न का है।
ये कैसे भारतीय सेना के अपमान से जोड़ दिया गया? लोगों की भावनाएं भडकाने के लिए एक चैनल पूछ रहा है- क्या अब दुनिया से पूछ कर करेंगे सेना पर गर्व? ये सवाल ही क्यों आया? क्या आप हर वक्त इस देश के लोगों को भडकाए रखना चाहते हो? कभी धर्म के नाम पर, कभी पार्टी के नाम पर तो कभी देश के ही नाम पर?
माना की धोनी किसी प्रोडक्ट का प्रचार नहीं कर रहे लेकिन चिह्न अगर कैसा भी हो उन्हें आईसीसी की अनुमति के बिना नहीं लगाना चाहिए था। अब बीसीसीआई ने प्रमिशन के लिए आईसीसी को लिखा है। पहले क्यों नहीं लिख लिया? खेल मंत्री ने बीसीसीआई से सख्ताई से बात की है। ये क्या चल रहा है भाई बेमतलब? आईसीसी को गलत ठहराने के लिए पूरे देश में लहर चला दी गई है। आईसीसी और उसके नियम गलत हैं तो फिर ये नियम आज तो नहीं बनाए गए? भारतीय क्रिकेट टीम और बीसीसीआई को अगर नियम गलत लगते हैं तो वो टीम न भेजे। यहां आईपीएल ही खिलाती रहें अपना।
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क्यों ये सवाल पूछा जा रहा है कि क्या पाकिस्तान को मिर्ची लगी? पाकिस्तान ने शिकायत की? पाकिस्तान क्या हर टीम को शिकायत करनी चाहिए नियमों के उलंघन्न के लिए। क्यों इस देश की भोली जनता को हर कोई अपने प्रोपोगेंडा में फंसा लेता है? क्यों देशभक्ती के नाम पर लोगों के इमोशनस से खेला जाता है? और जो इस चीज का विरोध करे वो देशद्रोही। लोग न्यूज चैनल की हर बात को सच मान लेते हैं, मिडिया को चौथा स्तंभ मानकर उसे गंभीरता से लेते हैं। इस बात का फायदा कबतक उठाया जाएगा। आप पाकिस्तान को ढाल बनाकर कुछ भी कहें तो क्या वो सच हो जाएगा?
अब कल को कोई स्कूल में या किसी कंपनी या कॉलेज में जहां ड्रेसकोड हो वहां आर्मी के कपडे पहन कर आने लगे वहां की वर्दी की जगह। तो क्या वहां का प्रशासन उसे रोकेगा नहीं? क्या देशभक्ती के नाम पर वो जायज हो जाएगा? नहीं न, आप उनके परिसर से बहार देशभक्ती दिखाईए कोई दिक्कत नहीं। सेना के स्कूलों में भी उनके बच्चे सेना की वर्दी नहीं पहनते। तो क्या उन बच्चों को भी अपनी देशभक्ती दिखाने के लिए वर्दी पहननी होगी? और हमें अपनी देशभक्ती दिखाने के लिए माथे पर देशभक्त लिखवाना पडेगा नहीं तो हमें लोग देशद्रोही मान लेंगे। ऐसे हालात क्यों पैदा किए जा रहे हैं? कसूर उतना धोनी का नहीं जितना इस मुद्दे को उछालने वाले न्यूज चैनलों का है और उन्हें देखकर भडकने वाले लोगों का। इस साधारणता का ही तो फायदा राजनीतिक दल उठाते आए हैं।
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धोनी क्यों क्रिकेट के मैदान पर देशभक्त बनकर दिखाना चाहते हैं? विश्व कप जीत के आराम से लहराना देश का तिरंगा किसने रोका है? या अपने घर आकर आर्मी की ड्रेस, उसका निशान भले ही अपने माथे पर लगाकर घूमें किसने रोका है? क्या धोनी, बीसीसीआई और भारत के कुछ जंगी चैनल देश की जनसंख्या और बडे क्रिकेट फैंन्स का दबाव बनाकर नियम के खिलाफ जाकर जंग जीतना चाहते हैं? उसी से पाकिस्तान फतह हो जाएगी?
अगर ये ठीक है तो फिर तो हर क्रिकेट टीम अपने अपने देश की आर्मी के चिह्न चस्पा कर मैदान में उतरना चाहिए। क्रिकेट के बेट की जगह हाथों में बंदूकें होनी चाहिए। धोनी भारतीय सेना का मनोबल बढाने के लिए उनके कार्यक्रमों में शामिल होते रहते हैं। भारतीय सेना भी उन्हें उपाधियों से नवाजती रहती है। वो सब अच्छा है लेकिन देशभक्ती के नाम पर नियमों के उल्लंघन को मैं तो कतई जायज नहीं मानता।
“ये लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में सभी सूचनाएं लेखक द्वारा दी गई हैं, जिन्हें ज्यों की त्यों प्रस्तुत किया गया हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति दस्तक इंडिया उत्तरदायी नहीं है।”