सरकारी अधिकारियों और स्टाफ के लिए एक नई गाइडलाइन जारी की गई है, जिसमे कहा गया है कि कोई भी सरकारी अफसर सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं कर करेगा। दरअसल, इस गाइडलाइन के अनुसार, अधिकारी ऑफिस के कंप्यूटर या मोबाइल पर सोशल मीडिया का इस्तेमाल न करें। ये गाइडलाइन सिर्फ अधिकारियों के लिए ही नहीं, बल्कि कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले स्टाफ, कंसलटेंट, पार्टनर्स और थर्ड पार्टी स्टाफ जो कि इन्फॉर्मेशन सिस्टम, फेसिलिटीज़ और कम्युनिकेशन सिस्टम को मैनेज करते हैं, उनके लिए भी है।
साथ ही, इस गाइडलाइन में कहा गया है कि कोई भी सरकारी कर्मचारी सोशल मीडिया या सोशल नेटवर्किंग पोर्टल या एप्लीकेशंस पर किसी भी तरह की आधिकारिक सूचना को शेयर नहीं करें, जब तक कि उनको सरकार द्वारा इस बात की अनुमति न दी जाए।
सूचना शेयर करने के अलावा निर्देश दिया गया है किसीक्रेट जानकारियों से संबंधित काम उस कंप्यूटर से न करें, जो इंटरनेट से जुड़ा हुआ हो, क्योंकि इसके हैक होने की आशंका रहती है। इसमें कहा गया है कि गूगल ड्राइव और ड्रॉप बॉक्स में सीक्रेट जानकारी को सेव न करें और किसी भी तरह की खुफिया जानकारी को ई-मेल से न भेजें।
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साथ ही, निर्देश दिए गए हैं कि संदेहास्पद मेल का उत्तर नहीं दें। ये हैकर्स किसी ट्रस्टेड लगने वाले सोर्स से लिंक भेजते हैं। इस लिंक पर क्लिक करते ही यह किसी फेक वेबसाइट पर लेकर जाता है। इस साइट पर लॉगइन करते ही सारी सूचनाओं के हैक होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। मंत्रालय ने साफ किया है कि इसे ध्यान में रखते हुए सावधान रहने की ज़रूरत है। साथ ही ये भी कहा गया है कि हर संस्थान अपनी ज़रूरतों को देखते हुए साइबर सिक्योरिटी को लेकर कुछ और भी नियम बना सकता है।
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