Batoge to Katoge: इस समय झारखंड और महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीति में हलचल मची हुई है और इन दिनों सीएम योगी आदित्यनाथ अपने नारे को लेकर काफी चर्चा में बने हुए हैं। उन्होंने हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान एक नारा दिया था, बटोगे तो कटोगे और अब झारखंड के साथ-साथ महाराष्ट्र में भी यह नारा गूंजने लगा है। योगी के इस नारे से दोनों राज्यों के चुनाव में किस तरह हलचल मच गई है, इसका अंदाजा विपक्ष के नेताओं की प्रतिक्रिया से लगाया जा सकता है। झारखंड और महाराष्ट्र के विधानसभा का चुनाव के दौरान यह नारा हिट क्यों हो रहा है, आईए जानते हैं-
सांप्रदायिक तनाव (Batoge to Katoge)-
बांग्लादेश के घुसपैठीयों का मुद्दा इन दिनों झारखंड में काफी छाया हुआ है और इस मुद्दे को काफी गंभीरता से लिया जा रहा है। इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है, कि विपक्ष के नेता इस पर खुलकर बोलते हुए नजर नहीं आते हैं। बीजेपी ने आरोप लगाया है, कि झारखंड के कई इलाकों में बांग्लादेशी घुसपैठ की वजह से डेमोग्राफी तक बदल दी गई है और साथ ही सनातन धर्म को मानने वाले लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। आपकी जानकारी के लिए बता दें, की पिछले कुछ महीने में झारखंड के कई इलाकों में सांप्रदायिक तनाव देखने को मिला है और यही कारण है कि योगी का बटोगे तो कटोगे नारा जनता के दिलों दिमाग पर छा गया है।
विरोधियों के जवाब (Batoge to Katoge)-
इस नारे पर विरोधियों के जवाब भी झारखंड में सामने आने लगे हैं, जब योगी ने झारखंड में अपनी रैली में इस नारे के जरिए लोगों से एकजुट रहने की अपील की, तो कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी योगी को जवाब देने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि बाटने और काटने वाला एजेंडा किसका है, यह पब्लिक को अच्छी तरह से पता चल चुका है। बीजेपी की आलोचना करते हुए, हेमंत सोरेन ने यह दावा किया है, कि राज्य में कोई भी हिंदू खतरे में नहीं है। लेकिन विपक्षी पार्टी सिर्फ मुस्लिम हिंदू के विचार विमर्श के जरिए, यहां पर तनाव पैदा करना चाह रही है।
नारे से विपक्ष में हलचल क्यों?
आखिर योगी आदित्यनाथ के इस नारे से विपक्ष में हलचल क्यों मची है। इसका जवाब हरियाणा में हाल ही में खत्म हुए विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। हरियाणा में निश्चित तौर पर इस नारे ने हलचल मचाई थी और बीजेपी को एक हारी हुई बाज़ी जीतने में मदद की थी। इसके साथ ही जब योगी आदित्यनाथ ने झारखंड की चुनावी सभा में सोरेन की सरकार के करप्शन, भारतीय संरक्षण, बांग्लादेशी घुसपैठयों और लैंड जैहाद का मुद्दा उठाया, तो जनता ने उनका समर्थन किया। लेकिन इन सभाओं में सबसे ज्यादा बटोगे तो कटोगे के नारे पर ही सबसे ज्यादा तालियां बजी। सियासी जानकारों की मानें, तो इस नारे पर लोगों का रिएक्शन देखकर पूरे विपक्ष में हलचल मच चुकी है।
औरंगज़ेब और मुगलों का जिक्र-
वहीं दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी योगी आदित्यनाथ की ही तर्ज पर जुड़ोगे तभी बचोगे का नारा दिया है। उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, कि अगर आप झारखंड को बचाना चाहते हैं, तो सभी को एकजुट होकर रहना होगा। वहीं दूसरी तरफ योगी की रैलियां में औरंगज़ेब और मुगलों का जिक्र भी जमकर किया जा रहा है। योगी का कहना है, कि जिस तरह से जमाने में आलमगीर औरंगजेब ने देश को लूट लिया था, उसी तरह से सोरेन सरकार के मंत्री भी झारखंड को लूट लेंगे। उन्होंने सोरेन सरकार पर सुबे में भ्रष्टाचार बढ़ाने का आरोप लगाया है और कहा कि आलमगीर आलम जनता को लूट कर अपनी तिजोरी भर रहे हैं।
आरएसएस और बीजेपी-
योगी और शिवराज को जवाब, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने दिया है। कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने योगी आदित्यनाथ पर अटैक करते हुए कहा, कि बांटने वाले लोग अब दूसरों को नसीहत दे रहे हैं, कि बटोगे तो काटोगे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता का कहना है, कि काटने और बांटने वाला एजेंडा आरएसएस और बीजेपी का है। झारखंड के लोगों को इनसे सचेत रहना चाहिए। इसके साथ ही सोरेन ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, कि जो लोग वोट के लिए जनता को बांटने की कोशिश करते हैं, वह हमेशा के लिए खत्म हो जाएंगे।
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योगी का बटोगे तो कटोगे नारा-
उन्होंने कहा कि देश के लोग ऐसे लोगों को मंजूर नहीं करेगे। इसके साथ ही योगी का बटोगे तो कटोगे नारा सिर्फ झारखंड नहीं, बल्कि महाराष्ट्र में भी बहुत चल रहा है। बीजेपी के तमाम नेता इस नारे को इस्तेमाल कर रहे हैं और लोगों से एक जूट रहकर वोट करने के लिए कह रहे हैं। बीजेपी के नेताओं को लग रहा है, कि मुसलमान तो एक मुस्त होकर उनकी पार्टी के खिलाफ वोट देते हैं। लेकिन हिंदू समाज उन्हें बचाता है और इसका फायदा पार्टी के विरोधी उठाते हैं। इसलिए भाजपा के नेता चुनाव में हिंदू समुदाय के लोगों को बार-बार याद दिला रहे हैं, कि अगर जातियों में बटोगे, तो फिर ऐसा ही खतरा आएगा जैसा बांग्ला देश के हिंदुओं के लिए आया है।
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