इसरो द्वारा लांच किया गया मून मिशन ‘चंद्रयान-2’ आज रात चांद पर लैंड करेगा। चंद्रयान-2 की लैंडिंग पर देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की नजर टिकी हुई है। पीएम नरेंद्र मोदी भी खुद इसरो के सेंटर में मौजूद रहेंगे और ऐतिहासिक पल के साक्षी बनेंगे।
वैसे ये पहला मौका नहीं है कि भारत से कोई मिशन पहली बार चांद पर लैंड करने वाला है। चंद्रयान-2 से पहले भी देश के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-1 को भी चांद पर पंहुचाया था। लेकिन चंद्रयान-2 कुछ खास है। क्योंकि चंद्रयान-2 चांद के उस हिस्से पर जा रहा है, जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंच पाया। मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर बताते है कि चंद्रयान-2 पहले से कितना अलग है और ये क्या काम करेगा।
चंद्रयान-1 से जुड़ी खास बातें
भारत वैज्ञानिकों द्वारा भेजा गया पहला मून मिशन चंद्रयान-1 है। 22 अक्टूंबर 2008 को चंद्रयान-1 भारत के सैटेलाइट PSLV-C II से श्री हरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से लांच किया गया था। चंद्रयान-1 ने चांद की 3400 से ज्यादा परिक्रमाएं कीं थी और यह 312 दिन यानी 29 अगस्त 2009 तक काम करता रहा। चंद्रयान-1 का लिफ्ट ऑफ भार 1380 किलोग्राम था।
चंद्रयान-1 ने चांद पर पानी होने की पुष्टि की थी। साथ ही, चंद्रयान-1 ने चांद के उत्तरी ध्रुव क्षेत्र में बर्फ के रूप में पानी जमा होने की भी खोज की थी। इसने चांद की सतह पर मैग्निशियम, एल्युमिनियम और सिलिकॉन होने का भी पता लगाया। चंद्रमा का वैश्विक मानचित्र तैयार करना इस मिशन की एक और बड़ी उपलब्धि थी।
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चंद्रयान-2 से जुड़ी खास बातें
चंद्रयान-2 पहले मून मिशन से थोडा अलग है। चंद्रयान-2 तीन हिस्सों से मिलकर बना है, जिसमें ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल हैं। इस मिशन को भारत के उपग्रह प्रक्षेपण वाहन जीएसएलवी-एमके 3 द्वारा श्री हरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से लांच किया गया। चंद्रयान-2 का भार 3850 किलोग्राम है।
वहीं, चंद्रयान-2 चंद्रमा की सतह पर अपना ‘विक्रम’ मॉड्यूल उतारने की कोशिश करेगा और 6 पहियों वाले रोवर ”प्रज्ञान” को चांद पर फिट कर देगा और इसके जरिए कई वैज्ञानिक परीक्षण किए जाएंगे।
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चंद्रयान-2 का मकसद चांद पर उतकर उसकी सतह के अध्ययन के लिए रोवर फिट करना है ताकि चंद्रयान-1 के वैज्ञानिक कार्यों का दायरा और बढ़ाया जा सके। ऑर्बिटर में चंद्रमा की सतह का मानचित्र बनाने और वहां के वायुमंडल (बाहरी वातावरण) के अध्ययन के लिए 8 वैज्ञानिक पेलोड रखे गए हैं।
लैंडर में चंद्रमा की सतह और उपसतह के परीक्षणों के लिए तीन वैज्ञानिक पे-लोड लगाए गये हैं। रोवर में दो पेलोड हैं जिनसे हमें चंद्रमा की सतह के बारे और ज्यादा जानकारी मिल सकेगी। नासा में भी 1 अप्रत्यक्ष परीक्षण चंद्रयान-2 से किया जाएगा।