भारत अंतरिक्ष में इतिहास रचने ही वाला था कि इसरो से चंद्रयान-2 का संपर्क टूट गया। उस समय चंद्रयान-2 चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह से 2.1 किमी की दूरी पर था। लेकिन भारत कोई पहले ऐसा देश नहीं जिसका मिशन फ़ैल हुआ हो। इससे पहले अमेरिका, रूस, जापान और इजरायल जैसे देश में भी कई बार अपने अंतरिक्ष कई मिशनों में फ़ैल हो चुके है। मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर जानते हैं कि दुनिया की किन बड़ी-बड़ी अंतरिक्ष एजेंसियों को अफसलता का थामना पड़ा…
नासा की असफलता
दुनिया की सबसे ताकतवर माने जाने वाली स्पेस एजेंसी नेशनल एरोनोटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा, NASA) ने बहुत-सी सफलताएं हासिल की है। लेकिन 1 फरवरी 2003 को नासा का कोलंबिया स्पेस शटल मिशन फ़ैल हो गया था। इस मिशन में भारतीय मूल की कल्पना चावला का निधन हुआ था। वह अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय महिला थी। ये दर्दनाक हादसा उस वक्त हुआ था, जब कल्पना का अंतरिक्ष यान कोलंबिया शटल STS-107 धरती से महज 16 मिनट की दूरी पर था।
जानें, चंद्रयान-1 से कैसे अलग है चंद्रयान-2
इन्सान को चांद पर पंहुचाने में सफलता नासा के हाथ 20 जुलाई 1969 को लगी थी, जब पहली बार नील आर्मस्ट्रॉन्ग और बज एल्ड्रिन ने चांद पर कदम रखा था। लेकिन इस सफलता के बाद अपने दूसरे मिशन में नासा फ़ैल हुआ था। 3 जनवरी 1999 में नासा ने मंगल के दक्षिणी ध्रुव के करीब यह वहां की मिट्टी और जलवायु का अध्ययन करने के लिए मार्स पोलर लैंडर (एमपीएल) भेजा था। लेकिन नासा का यह 290 किलो वजन वाला रोबोटिक स्पेसक्रॉफ्ट में आग लग गई थी और यह मिशन फेल हो गया था।
Video: अपने आधार कार्ड की डिटेल्स को ऐसे करें Lock/ Unlock
इजरायल का मून मिशन भी असफल
इजरायल ने भी इसी साल अप्रैल में अपना स्पेसक्राफ्ट बेरेशीट चांद पर भेजा था। इजरायल का यह स्पेसक्राफ्ट लैंडिंग के समय क्रैश हो गया। इस अभियान में अगर कामयाबी मिलती तो रूस, अमेरिका और चीन के बाद इजरायल चांद पर यान उतारने वाला चौथा देश बन जाता। यह चंद्रमा की सतह से करीब 10 किलोमीटर दूर था। हालांकि, हमारा चंद्रयान-2 इजरायल के मिशन से भी बेहद करीब था। हम चांद की सतह से महज 2.1 किलोमीटर दूर थे।
रूस के भी हाथ लग चुकी है निराशा
13 जुलाई, 1969 को रूस के मिशन लूना-15 ने अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी और चार दिन बाद और अपोलो 11 से 72 घंटे पहले यह यान चंद्रमा की कक्षा में दाख़िल हो गया। लेकिन सतह पर पहुंचने की कोशिश में यह नष्ट हो गया।
अब चप्पल पहनकर बाइक चलाने पर भी देना होगा जुर्माना
जापान भी हारा
जापान की स्पेस एजेंसी जैक्सा (जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी) ने साल 2016 में हिटोमी सैटेलाइट को ब्लैक होल्स के एक्सरे पाने के लिए मिशन पर भेजा था। स्पेस साइंस के इतिहास में मील का पत्थर बनने वाला था लेकिन यह मिशन भी असफल रहा। इसमें 31 अरब जापानी येन (करीब 2100 करोड़ रुपये) का खर्च हुए थे।
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो अब तक चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के 38 प्रयास हुए, जिसमें 52 फीसदी ही सफल रहे। चांद को छूने की पहली कोशिश 1958 में अमेरिका और सोवियत संघ रूस ने की थी। अगस्त से दिसंबर 1968 के बीच दोनों देशों ने 4 पायनियर ऑर्बिटर (अमेरिका) और 3 लूना इंपैक्ट (सोवियन यूनियन) भेजे, लेकिन सभी असफल रहे। अब तक चंद्रमा पर दुनिया के सिर्फ 6 देशों या एजेंसियों ने सैटेलाइट यान भेजे हैं। कामयाबी सिर्फ 5 को मिली। अभी तक ऐसे 38 प्रयास किए गए, जिनमें से 52 फीसदी सफल रहे।
Facebook ने शुरू की डेटिंग सर्विस, सीक्रेट क्रश का भी मिला फीचर