देश में लगातार बढ़ रही मंदी से लगभग सभी उद्योगों पर खतरा मंडरा रहा है। ऑटोमोबाइल सेक्टर के बा अब आभूषण उद्योग भी मंदी के दौर से गुजर रहा है। अखिल भारतीय रत्न एवं आभूषण घरेलू परिषद ने खुलासा किया है कि देश में मंदी आने से और गहनों के दाम बढ़ने से लोग इनकी खरीददारी कम कर रहे है, जिसका सीधा असर लोगों की नौकरियों पर पड़ता दिखाई देगा।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अखिल भारतीय रत्न एवं आभूषण घरेलू परिषद ने मांग की है कि आयातित सोने पर सीमा शुल्क की दरें कम की जाएं और आभूषणों पर जीएसटी की दर घटाई जाए। साथ ही, कहा कि यदि ये दरें नहीं घटाई गई तो कुशल कारीगरों के सामने रोजगार का संकट पैदा हो सकता है।
आपको बता दें कि इसी साल 5 जुलाई को पेश किए गए आम बजट में सोने पर आयात शुल्क 10 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 फीसदी किया गया था। वहीं, आभूषण पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दर 3 फीसदी तय की गई। इस तरह से ग्राहकों को 13 फीसदी के आसपास टैक्स चुकाना पड़ता है। जीएसटी लागू होने से पहले सोने पर एक फीसदी वैट लगता था।
वहीं, खबरों की माने तो अखिल भारतीय रत्न एवं आभूषण घरेलू परिषद के वाइस चेयरमैन शंकर सेन ने कहा कि मांग कम होने की वजह से आभूषण उद्योग मंदी के दौर से गुजर रहा है। इससे हजारों कुशल कारीगरों का रोजगार छिनने का अंदेशा पैदा हो गया है। उन्होंने कहा कि सीमा शुल्क में वृद्धि और जीएसटी की मौजूदा दर से उपभोक्ता धारणा प्रभावित हो रही है, क्योंकि इससे आभूषणों की कीमतों में इजाफा हुआ है।
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साथ ही, उन्होंने मांग की है कि बिना पैन कार्ड के सोने की खरीद की सीमा 2 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये की जाएं। फिलहाल, 2 लाख तक से अधिक सोना या सोने के सोने के आभूषण खरीदने के लिए पैन का विवरण देना जरूरी है। इस साल सोने की कीमतों में 20 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है और सोने की मांग 35 फीसदी घटी है।