गुरुग्राम के सुशांत लोक फेज- टू स्थित त्रिखा थियेटर अकादमी में सप्तक रोहतक के चौथे वार्षिक थियेटर उत्सव-2019 का रविवार को शुभारंभ हरियाणा कला परिषद के निदेशक अनिल कौशिक द्वारा किया गया। वहीं, इस खास मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में रोहतक के एमडीयू के कुलपति एस. चहल के अलावा सेवानिवृत आईपीएस अनिल धवन, उद्योगपति जगत मदान के अलावा नाट्य जगत से राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से स्नातक युवराज शर्मा, अर्जुन वशिष्ठ, अविघ्न थियेटर गु्रप के निर्देश रूप किशोर निशीत, सुहासिनी दिघे मौजूद रहे।
वहीं, उन्होंने त्रिखा थियेटर अकादमी में की गई सभी नाटकों की प्रस्तुतियों की जमकर तारीफ करते हुए अपने संदेश में कहा कि किसी भी बात को पुख्ता और प्रभावी तरीके से कहने, समझाने का सशक्त माध्यम नाटक हैं। नाटकों से हम समाज को सही दिशा भी दे सकते हैं। एक कलाकार अपने आप में परिपूर्ण समाज होता है। उसे सामाजिक पहलुओं का अपने मंचन में खास ख्याल रखना पड़ता है। समाज को सही दिशा और दशा देने का नाटक काम करते हैं।
साथ ही, उन्होंने लोगों को सलाह दी कि नाटकों को सिर्फ मनोरंजन के तौर पर न लेकर हमें शिक्षाप्रद रूप में लेना चाहिए। क्योंकि वर्तमान समाज में जो सब घटित हो रहा है, वह पतन का कारण बनता जा रहा है। समाज को छोडिय़े घर तक टूट रहे हैं। सहनशक्ति खत्म हो रही है, विश्वास खत्म हो रहा है।
इसके अलावा, अकादमी के निर्देशक विश्वदीपक त्रिखा ने अपनी बात में टूटते जा रहे समाज पर कहा कि-धरती के विस्तार में कोई कमी आई नहीं है-आदमी का आजकल आकाश छोटा हो गया है, प्यार करने का तो वही पुराना तरीका है-पर आदमी का आजकल विश्वास छोटा हो गया है। इस बात से उन्होंने अपनी सोच में सुधार लाने का संदेश दिया।
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कलाकारों ने मनवाया अपनी कला का लोहा
इस उत्सव में आज ख्वाबिदा नाट्य मंच की प्रस्तुति खबरी का मंचन किया गया। नाटक की प्रस्तुति दो हिस्सों में बंटी हुई थी। पहले हिस्से में प्रसिद्ध जर्मन नाटककार बर्तोल ब्रेख्त की अनुवादित कुछ कविताएं पढ़ी गईं और दूसरे हिस्से में ब्रेख्त के मूल नाटक द इन्फॉर्मर का हिंदी रूपांतरण खबरी प्रस्तुत किया गया। नाटक में दिखाया गया कि समाज में युद्ध और आपसी नफरत का माहौल, एक परिवार के लोगों की आपसी भावनाओं और सामजिक संबंधों पर कितना गहरा प्रभाव डालता है।
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बता दें नाटक का निर्देशन सेंजुती बागची द्वारा किया गया, जो राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय स्नातक हैं। कलाकारों में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय स्नातक, सलीम मुल्ला एवं अदिति आर्य के अलावा तरुण कुमार, आयुष पाठक और अंजलि रंगारी ने मंच पर पात्रों को जीवंत किया। नाटक का संगीत राहुल आर्य ने डिजाइन किया।
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