मुबंई के आरे में मीडिया की खबरों के मुताबिक मुबंई मेट्रो ने मेट्रो के लिए सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले ही 2200 पेड काट लिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार सुबह याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि आरा में यथास्थिती बनी रहे और अब अगली सुनवाई तक कोई पेड ना काटा जाए। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि जितने पेड काटे जाने थे उतने काट लिए गए हैं। अब कोई पेड नहीं काटा जाएगा।
वकील रिषभ रंजन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की है। सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल दशहरे की छुट्टी चल रही है। ऐसे में रिषभ ने चीफ जस्टिस को चिठ्ठी भेजी। जिसे चीफ जस्टिस रंजन गोगई ने याचिका मानते हुए उसपर सोमवार सुबह 10 बजे सुनवाई की। कोर्ट ने यथास्थिती बनाए रखने की बात कही है। सरकार ने कहा है कि जितने पेड काटने थे उतने काट लिए गए हैं। अब आगे और पेड नहीं काटे जाएंगे। इस बयान को सुप्रीम कोर्ट ने रिकॉड कर लिया है। अब 21 तारीख को सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को सबूतों के साथ पेश होने को कहा है। याचि पर्यावरणविदों का कहना है कि आरे के वन्य क्षेत्र है। सुप्रीम कोर्ट अब 21 अक्टूबर को यही तय करेगा कि कितने पेड काटे गए और ये वन्य क्षेत्र था या नहीं।
फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने बहुत छोटी सुनवाई करते हुए पेडों के मामले में यथास्थिती बनाए रखने को कहा है। जिसका भरोसा सरकार ने उन्हें दिया है। पर्यावरणविद इसे अपनी जीत के रुप में मान रहे हैं। लेकिन इस जीत से पहले काफी पेड काटे जा चुके हैं। लेकिन कितने पेड काटे गए हैं उसकी पुख्ता जानकारी अभी किसी के पास नहीं है। कोर्ट ने निजी मुचलके पर गिरफ्तार हुए लोगों को भी अगर कोई रह गया हो तो उसे छोडने का भी आदेश दिया है। लेकिन मुंबई पुलिस के अनुसार उसने सभी लोगों को छोड दिया है लेकिन आगे प्रदर्शन न करने की शर्त के साथ। पुलिस ने आरे कॉलोनी इलाके से धारा 144 भी हटा ली है।