देशभर में महिलाओं को अपने कार्यस्थल पर किसी न किसी वजह से यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। वहीं, अब इसी मामले को लेकर बेहद ही चौंका देने वाले आंकड़े सामने है, जिनमें कहा गया है कि हर 10वीं कामकाजी महिला को अपने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है।
इकॉनोमिक टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में राष्ट्रीय महिला आयोग और दृष्टि स्त्री अध्ययन प्रबोधन केंद्र ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें ये चौंका देने वाले आंकड़े सामने आये है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑफिस या कंपनी में काम करने वाली हर 10वीं महिला को यौन शोषण का शिकार बनाया जाता है।
इतना ही नहीं, इस रिपोर्ट में ये बात भी सामने आई है कि इस तरह के मामलों की शिकायतों के लिए कई कार्यस्थलों में कोई आंतरिक समिति भी नहीं बनाई गई है। इसके अलावा, महिलाओं के साथ वेतन को लेकर भी भेदभाव किया जाता है।
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इस मामले पर केंद्र द्वारा करीब दो सालों तक अध्ययन किया गया, जिसमें देश की 64 फीसदी जिलों में 74,095 महिलाएं शामिल है। साथ ही, इस अध्ययन में महिलाओं से सरकारी पहचान पत्र एवं बैंकिंग सुविधा, शिक्षा, स्वास्थ्य रोजगार, नीति निर्धारण व्यवस्था और कई अन्य क्षेत्रों में उनकी स्थिति को लेकर भी बातचीत भी की गई।
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इस अध्ययन में इस बात का भी खुलासा किया गया है कि देश की 82 प्रतिशत महिलाओं के पास मतदाता पहचान पत्र और 79 प्रतिशत के पास बैंक खाते है। साथ ही, 64 प्रतिशत महिलाओं के पास ही पैन कार्ड है। लेकिन अच्छी बात ये है कि 2011 की जनगणना के बाद महिलाओं की साक्षरता में 15 फीसदी बढ़ोतरी भी हुई है। इसके अलावा, 87 प्रतिशत महिलाओं को मां बनने के बाद और अपने बच्चे की देखभाल करने के लिए कोई छुट्टी नहीं मिलती। जिसकी वजह से उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ती है।