अजय चौधरी

वकीलों को ये लगता है कि अदालतें उनकी हैं, वो जो चाहे करें, सुनवाई उन्हें ही करानी है और फैसला भी उन्हीं के पक्ष में आना है। एकता अच्छी चीज है, होनी चाहिए ताकि आप गलत के खिलाफ एकत्रित हो सकें। वकीलों में एकता की कोई कमी नहीं तीस हजारी के मामले में बाकि अदालतों के वकीलों ने भी एकत्रित हो पुलिस की ठुकाई शुरु कर दी। ट्वीटर पर #GoonsinBlack ट्रेंड कर रहा है। लोग पूछ रहे हैं कश्मीर के पत्थरबाजों और आप में क्या फर्क बचा है?
एक पढ़े लिखे वर्ग का सडकों पर नंगा नाच पहली बार देखा जा रहा है। ये अपने वर्ग के अच्छे लोगों को भी बदनाम करने में लगे हैं। भीड का कोई चेहरा नहीं होता वो मॉब लिंचिंग कर सकती है, वो फेक न्यूज के प्रभाव से किसी पर भी हमला बोल सकती है। लेकिन यहां ये कानून का इतना ज्ञानी वर्ग उस अनपढ़ भीड से भी बुरा बर्ताव पुलिस पर ही करके दिखा रहा है, जो पुलिस अक्सर पिटने वाले को भीड से बचाकर ले जाती है।
गलती पहले किसी की भी रही हो लेकिन पुलिस को सडकों पर पीटकर आप समाज को क्या दिखाना चाहते हैं? यही कि कानून की लडाई लडने वाले कानून से ऊपर होते हैं? ऐसा नहीं है कि ये पहली बार हो रहा है। ऐसा पहले भी होता रहा है, लेकिन तब इतनी वीडियो नहीं बनती थी और मामला वकील और पुलिस दोनों मिलकर दबा ही लेते थे।
अब जमाना तकनीक के साथ बदल गया है। हर जेब में मोबाईल है और उसमें कैमरा। उनकी मारपीट की वीडियो न बनाई जाए इसलिए वकीलों ने मीडिया को भी निशाना बनाया। लेकिन इस जमाने में आपको वायरल होने से कोई नहीं रोक सकता। आप नहीं जानते आपको कितनी नजरें देख रही होती हैं। दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में पार्किंग को लेकर पुलिस और वकीलों में उपजा विवाद विवेक से निपटाया जा सकता था लेकिन दोनों पक्ष के कानून से ऊपर होने के अहम ने बात को बढ़ा दिया।
आप समाज को क्या मैसेज दे रहे हैं वो तो पता नहीं लेकिन शरारती तत्वों तक ये संदेश जरुर पहुंचा रहे हैं कि आप आए वकालत पढें, काला चोला पहनें और कानून से ऊपर उठ जाएं। फिर आपको कोई कुछ नहीं कह पाएगा।