देशभर में भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए डिजिटल इंडिया जैसे कई पैतरे आजमाए जा रहे है। लेकिन आज भी कुछ सरकारी विभाग और कुछ ऐसे राज्य है, जहां बिना रिश्वत लिए कोई काम नहीं होता। दरअसल, इसका खुलासा ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया और लोकल सर्कल द्वारा किये गये एक सर्वे में हुआ है। बता दें, इस सर्वे में करीब दो लाख लोगों ने हिस्सा लिया।
इस सर्वे के अनुसार, 35 प्रतिशत लोगों ने स्वीकार किया है कि उन्होंने पिछले 12 महीनों में अपना काम कराने के लिए रिश्वत दी है और 24 प्रतिशत लोगों का कहना है कि उन्होंने पिछले 12 महीनों में कई बार रिश्वत दी है। इतना ही नहीं, 27 प्रतिशत ने एक या दो बार रिश्वत देने की बात स्वीकार की है। वहीं, 16 प्रतिशत लोगों का कहना है कि वे हमेशा बिना रिश्वत दिये ही अपना काम कराते है। इसी के साथ, 38% लोगों ने कहा कि सरकार दफ्तरों में काम कराने का एकमात्र तरीका घूस है। 26% ने कहा कि घूस न दो तो काम समय पर होता ही नहीं।
वहीं, इस सर्वे में खुलासा हुआ कि आज भी रिश्वत के लिए नगदी को ही प्राथमिकता दी जाती है। 35 प्रतिशत लोगों ने पिछले 12 महीनों में रिश्वत के रूप में नकद भुगतान किया है। 30 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने एक एजेंट के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से रिश्वत दी है और 6 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने अन्य किसी रूप में रिश्वत दी है।
हालांकि, यहां एक बात ये अच्छी है कि पिछले साल के मुकाबले भ्रष्टाचार के मामलों में 10 फीसदी की गिरावट आई है। लेकिन कुछ राज्यों में इस तरह के मामलों में कमी आई है तो कुछ राज्यों में रिश्वतखोरी के मामले बढ़ते जा रहे है। यूपी, बिहार, राजस्थान, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, झारखंड और पंजाब ये ऐसे राज्य है, जहां पिछले साल के मुकाबले भ्रष्टाचार के ज्यादा मामले दर्ज हुए है।
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इसके अलावा, दिल्ली, हरियाणा, गुजरात, पश्चिम बंगाल, केरल, गोवा और ओडिशा में रिश्वतखोरी के मामलों में गिरावट देखने को मिली है। वहीं, ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट कहती है कि रिश्वत के मामले में 180 देशों की लिस्ट में भारत की रैंकिंग पिछले साल के मुकाबले तीन पायदान सुधरी है। पिछले साल देश भ्रष्टाचार में 81वें नंबर पर था। इस साल सुधार हुआ है भारत की मौजूदा रैंकिंग 78वीं है।
वहीं, इस सर्वे में कहा गया है कि पिछले 12 महीनों में 51 प्रतिशत लोगों ने अपने किसी न किसी काम को कराने के लिए रिश्वत दी है। 26 प्रतिशत लोगों का कहना है कि उन्होंने प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन कराने और जमीन से जुड़े काम कराने के लिए रिश्वत दी है। इसके अलावा, 19 प्रतिशत लोगों ने पुलिस को, 13 प्रतिशत लोगों ने नगर निगम, 3 प्रतिशत लोगों ने बिजली बोर्ड, 13 प्रतिशत लोगों ने परिवहन कार्यालय, 8 प्रतिशत लोगों ने टैक्स विभाग, 5 प्रतिशत लोगों ने जल विभाग और 13 प्रतिशत लोगों ने अन्य अधिकारियों को रिश्वत दी है।