13 दिसंबर 2001 वो तारीख है, जिसे कोई भी नहीं भूल सकता। 18 साल पहले आज ही के दिन देश के लोकतंत्र के मंदिर यानी संसद भवन पर आतंकी हमला हुआ था, जिसमें संसद भवन के गार्ड, दिल्ली पुलिस के जवान समेत कुछ अन्य सुरक्षाकर्मी भी शहीद हो गए थे। जिसके बाद देश की राजधानी समेत पूरा देश दहल गया था।
ऐसे हुआ था हमला
सुबह करीब 11 बजे का वक्त था जब ताबूत घोटाले को लेकर दोनों सदनों में जबरदस्त हंगामा हुआ। इसी के चलते कुछ समय के लिए दोनों सदनों की कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया। जिसके बाद कुछ सांसद बाहर तो कुछ सदन में अंदर ही इस मुद्दे को लेकर चर्चा करने लगे।
तभी एक मैसेज आया कि तत्कालीन वाईस प्रेसिडेंट कृष्णकांत शर्मा घर जाने के लिए निकलने वाले है। इसी को देखते हुए उनके काफिले की गाड़ी संसद के गेट नं.11 पर तैनात कर दी गई। उसी वक़्त वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों को एक सफेद एंबेस्डर कार तेज़ी से गेट नं.11 की तरफ बढ़ती दिखाई दी। उन्होंने इस गाड़ी को रोकने की कोशिश भी की, लेकिन उस गाड़ी की रफ्तार कम नहीं हुई और ये कार वाईस प्रेसिडेंट के काफिले की तरफ बढ़ती गई।
इसके बाद एआईएस जीतराम ने इस कार का पीछा करते हुए ड्राईवर को पकड़ लिया और उसे गुस्से में बहुत धमकाने लगे। लेकिन उल्टा उन्हें ही धमकी मिली कि हट जाओ वर्ना तुम्हें गोली मार दी जाएगी। इसे सुनकर जीतराम भांप गये कि गाड़ी में बैठे लोग सेना के नहीं हो सकते। कार में बैठे आतंकियों ने सेना की वर्दी पहन रखी थी। जीतराम ने तुरंत अपनी रिवॉल्वर निकाली। जीतराम को ऐसे देखकर संसद भवन के अन्य कई सुरक्षा कर्मी उनकी तरफ तेजी से भागे।
इस मुठभेड़ के समय ही आतंकियों ने अपनी गाड़ी मोड़ते हुए संसद भवन के अंदर जाने की कोशिश की, लेकिन गाड़ी से पत्थर से टकराकर वही रुक जाती है। तभी उस गाड़ी में बैठे पांचों आतंकी ने बाहर निकलकर सड़क पर तार बिछाना और उससे विस्फोटकों को जोड़ना शुरू कर दिया। इसको देखते हुए जीतराम ने एक आतंकी के पैर में गोली मार दी तभी आतंकियों ने भी उनपर उल्टा फायर किया, जिसमें वह शहीद हो गए।
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इस दौरान आतंकी कार में ब्लास्ट करना चाहते थे। लेकिन वो ऐसा करने में नाकाम रहे। इसके बाद आतंकवादियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग करनी शुरू कर दी। आतंकी गेट नंबर 9 की तरफ बढ़ रहे थे और ग्रेनेड फेंकते जा रहे थे। पार्लियामेंट जल्द ही गोलियों और धमाकों की आवाज से दहल उठा। उस वक्त 100 से ज्यादा सासंद पार्लियामेंट में ही मौजूद थे। इस फायरिंग में पांचों आतंकी मारे गए लेकिन अपनी सेना के 9 जवान भी शहीद हो गए थे। इस घटना के बाद पूरा देश दहल उठा था।
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