सोनम शर्मा
राहुल गांधी इन दिनों “भारत जोड़ो यात्रा” पर हैं, उनकी इस पदयात्रा की शुरुआत कन्याकुमारी से हुई है और ये श्रीनगर तक जाएगी। इस यात्रा का कुल सफर 3,570 किलोमीटर का है जिसे राहुल गांधी 150 दिनों में पैदल चलकर पूरा करेंगे। राहुल गांधी के अनुसार वो इस यात्रा से भारत को जोड़ने का काम करेंगे और लोगों के बीच जो खाई आरएसएस और बीजेपी लेकर आई है उसे पाटने का काम करेंगे और ये संदेश देंगे कि कश्मीर से लेकर कन्यकुमारी तक पूरा भारत एक है। कांग्रेस के लिए ये यात्रा बेहद अहम बनी हुई है, लेकिन क्या कांग्रेस को इस पदयात्रा से कुछ हासिल हो पाएगा?
इस यात्रा से कांग्रेस को क्या हासिल होगा?
राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कहा है कि हम नफरत से चुनाव तो जीत सकते हैं लेकिन देश की समस्याओं को हल नहीं कर सकते, ये सीधा तंज आरएसएस और बीजेपी पर है। राहुल इस यात्रा को भारत को जोड़ने वाली बता रहे हैं, उनके अनुसार बीजेपी ने जो नफरत फैलाई है, लोगों के बीच जो खाई पैदा की है, ये यात्रा उस खाई को पाटने का काम करेगी और कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक देश को एक सूत्र में पिरोने का काम भी करेगी।
हालांकि बीजेपी इस यात्रा का खुलकर विरोध नहीं कर पा रही है, यात्रा की शुरुआत में बीजेपी का एक बयान जरुर सामने आया था कि गुजरात में चुनाव हैं और राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा वहां से होकर नहीं गुजर रही इसके मायने हैं कि राहुल बीजेपी से डरे हुए हैं इसलिए उन्होंने अपनी यात्रा के रुटमैप से गुजरात को बाहर कर दिया है। अभी तक के सफर में राहुल की इस यात्रा को तमिलनाडु और केरल में भारी जन समर्थन मिलता दिख रहा है।
कांग्रेस को इससे क्या फायदा होगा और क्या राहुल गांधी अपने कहे अनुसार इस यात्रा से भारत को जोड़ने में कामयाब हो पाएंगे और उस जुडाव को कांग्रेस के वोटबैंक में तब्दील कर पाएंगे या नहीं इसका जवाब देश में होने वाले उन राज्यों जिनसे यात्रा गुजर रही है और केंद्र के चुनाव में ही साफ हो पाएगा। लेकिन इस यात्रा का असर बीजेपी पर जरुर दिखने लगा है, बीजेपी एक तो सीधे तौर पर इस यात्रा का विरोध करने से बच रही है दूसरा उसकी सहयोगी संस्था आएएसएस पर राहुल गांधी ने यात्रा के दौरान हमला बोला था, जिसका असर ये हुआ कि संघ प्रमुख मोहन भागवत दिल्ली में मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाकात भी करते हैं और दिल्ली की एक मस्जिद में जाकर खाना भी खाते हैं।ऐसा आएएसएस के इतिहास में पहली बार हुआ है।
राहुल ने आरएसएस को देश को बांटने वाली संस्था करार दिया था। यात्रा के ही दौरान राहुल ने सवाल किया था कि क्या आपने कभी आरएसएस में किसी महिला को देखा है? इसके जवाब में आरएसएस के इसबार के नागपुर के सम्मेलन में एक महिला को मुख्य अतिथी बनाया गया था। हालाकिं आरएसएस में ऐसा बदलाव अबतक देखने को नहीं मिला था। ऐसे में कहा जा सकता है कि राजनीतिक पार्टियों पर राहुल गांधी की इस यात्रा का असर जरुर हो पाएगा। वहीं राहुल गांधी इस यात्रा के जरिए कांग्रेस पार्टी को मजबूत करने का भी काम कर रहे हैं। राहुल की यात्रा फिलहाल देश के उन हिस्सों से होकर गुजर रही है जहां बीजेपी का प्रभाव कम है, जैसे जैसे यात्रा आगे बढ़ेगी और हिंदी पट्टी से होकर गुजरेगी वैसे-वैसे इस यात्रा के असर की तस्वीर साफ हो पाएगी।
12 राज्यों से होकर गुजर रही है भारत जोड़ो यात्रा-
150 दिनों तक चलने वाली भारत जोड़ो यात्रा कांग्रेस के लिए बहुत अहम मानी जा रही है। इस यात्रा का जो रोड मैप बनाया गया है वो 12 राज्योंं से होकर गुजर रहा है जिसमें तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, जम्मू कश्मीर शामिल हैं। बिहार बंगाल उड़ीसा और झारखंड जैसे पूर्वी भारत के राज्यों को इस रोड मैप में शामिल नहीं किया गया है। इस यात्रा को जम्मू कश्मीर में समाप्त किया जाएगा।
यात्राओं और सफर के बारे में बहुत कुछ कहा गया है और लिखा गया हैं, जब एक व्यक्ति सफर में होता है तब वो बहुत कुछ सीखता है साथ ही दुनिया को भी जानता हैं। सफर भी कई तरह के होते हैं, मसूर शायर अहमद फराज कहते है कि एक सफर वो है जिसमे पांव नहीं दिल थकता है। कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी भी इन दिनों एक सफर में हैं, देश में भारत जोड़ो यात्रा कर रहे हैं। कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक उनकी ये यात्रा पद यात्रा है, इस यात्रा के जरिए वो भारत को एक करने की बात कर रहे हैं।
अशोक गहलोत के साथ गौतम अडानी की तस्वीर पर बीजेपी का विरोध क्या जायज है?
लेकिन अब तक उनकी जितनी भी तस्वीरे सामने आई है उनमें ना तो उनके पैर थकते दिखाई दिए और ना ही दिल। राहुल गांधी की यात्रा को विरोधी राजनीतिक यात्रा कह रहे है अब बीजेपी के बाद सीपीएम ने भी इन पर तंज कसा और कहा की अगर राहुल गांधी बीजेपी आरएसएस से लड़ना है तो केरल में इतनी लंबी पद यात्रा निकालने का क्या मतलब हैं। इस यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने एक बात कही कि नफरत से चुनाव तो जीत सकते हैं लेकिन देश की समस्याओं का हल नहीं कर सकते।
इस यात्रा की सोशल मीडिया पर चर्चा-
आए दिन इस यात्रा से कुछ ऐसी तस्वीरें आती हैं जिनकी सोशल मीडिया पर चर्चा होती है, वैसे ही एक तस्वीर में राहुल गांधी के साथ लाल साड़ी पहने एक महिला दिखी है, उनका नाम है एम वसंत कुमारी जो कि एशिया की पहली महिला बस चालक हैं, लेकिन क्या इनके इस पदयात्रा में राहुल गांधी के साथ चलने से कांग्रेस को कुछ लाभ होगा, क्या अन्य महिलाए भी इस यात्रा का हिस्सा बनेंगी। देश में जब भी कोई यात्रा हुई है उससे कुछ बदलाव देखने को तो मिला है कुछ यात्राओं ने तो राजनीतिक समीकरण और देश का भूगोल ही बदल कर रख दिया है।
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