जूली चौरसिया
केरल की पिनराइ सरकार और केन्द्र सरकार तिरुवनंतपुरम के हवाई अड्डे को पीपीपी मोड के तहत अडानी को दिए जाने को लेकर आमने सामने आ गयी है। केरल सरकार 50 साल के लिए तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डा अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड को लीज़ पर देने का विरोध कर रही है, आरोप है कि इस फैसले को लेने में गलत प्रक्रिया का इस्तेमाल किया गया है। गुरुवार को इसके लिए एक सर्वदलिय बैठक बुलाई गई थी जिसमें केरल सरकार ने इस फ़ैसले को वापिस लेने की केन्द्र से माँग की। इसके साथ ही केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में केंद्र के इस फैसले के खिलाफ याचिका दे रखी थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित और बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने केंद्र के इस फैसले में किसी भी तरह के हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है। कोर्ट के अनुसार ये निजी कंपनी 2021 के अक्टूबर से ही तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे को संभाल रही है, ऐसे में अब इसमें कोई हस्तक्षेप करने का तुक नहीं बनता है। हालांकि कोर्ट ने कहा है कि जिस जमीन पर ये हवाई अड्डा है उसके स्वामित्व का सवाल अभी खुला रहेगा।
आख़िर क्या है ये सारा मामला?
केन्द्र सरकार ने बहुत से हवाई अड्डों को पीपीपी मॉडल पर देश भर में देने का फ़ैसला किया था, तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डा भी इसमें शामिल है। जानने वाली बात तो ये है की तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे की बोली में केरल सरकार भी शामिल थी, केरल सरकार के पास पीपीपी मोड में दो हवाई अड्डों को चलाने का अनुभव है, केरल सरकार का कहना है कि उन्होंने अडानी इंटरप्राइसेस के बराबर ही बोली लगाई थी लेकिन केन्द्र सरकार ने उन्हें नज़रअन्दाज़ करते हुए एयरपोर्ट अडानी इंटरप्राइसेस को सौंप दिया है। अब 50 साल के लिए तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डा अडानी ग्रुप के पास लीज़ पर चला गया है।
केरल के मुख्यमंत्री ने पीएम मोदी को एक ख़त लिखा
केरल के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक में फ़ैसला वापिस लेने की माँग की उसके बाद मुख्यमंत्री पिनराइ विजयन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चिट्ठी लिख कर इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है।
जवाब देते हुए नागर विमानन मंत्री हरदीप पुरी आए सामने-
केंद्र सरकार में विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने केरल सरकार का विरोध करते हुए कहा कि पीपीपी मोड पर हवाई अड्डों को दिए जाने की प्रक्रिया के नियमों का पूरी तरह से पालन किया गया है। किसी भी तरह का कोई ग़लत फ़ैसला नहीं किया गया है, केरल सरकार ने औद्दोगिक विकास निगम ने 135 रुपयें प्रति यात्री शुल्क की बोली लगायी थी और बोली में पट्टा हासिल करने वाली कम्पनियों ने 168 रुपये प्रति यात्री शुल्क की बोली लगायी थी।
हरदीप पुरी ने कहा की केन्द्र और केरल सरकार के बीच पहले ही ये सहमति हुई थी कि यदि जीतने वाली कम्पनी और केएसआईडीसी की बोली में अगर 10 प्रतिशत का अंतर हुआ तो पट्टा केरल सरकार को दिया जाएगा लेकिन इस मामले में 19 प्रतिशत का अंतर था, इसलिए ये पट्टा अडानी के हक़ में आया। विशेषाधिकार दिए जाने के बावजूद भी केरल सरकार वो उपयुक्ता पूरी नहीं कर पायी और प्रक्रिया के तहत ये बोली अडानी के हक़ में रही।