गुजरात के दाहोद जिले में एक सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली आठ साल की बच्ची की स्कूल परिसर में चोट लगने से मौत हो गई। दाहोद के रामपुरा गांव के सरकारी प्राइमरी स्कूल में 20 दिसंबर को ये बच्ची हादसे का शिकार हुई थी। सिर में गहरी चोट लगने की वजह से बच्ची ने दम तोड़ दिया, अहमदाबाद के एक अस्पताल में बच्ची ने अपनी आखरी सांसे ली। मीडिया में आई जानकारी के मुताबिक अश्मिता मोहनिया नाम की छात्रा स्कूल में लोहे के भारी के गेट के पास खेल रही थी। तभी अचानक से गेट अपने कब्जे से उतर गया और छात्रा के ऊपर गिर गया।
इस हादसे में आठ साल की इस छात्रा के सिर में गहरी चोट आ गई और उसे प्राथमिक उपचार के लिए दाहोद शहर के प्राइवेट अस्पताल में ले जाया गया। उसकी गंभीरता को देखते हुए बाद में उसे अहमदाबाद में शिफ्ट कर दिया गया, जहां उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई। जिला शिक्षा अधिकारी मूयर पारेख ने मीडिया को जानकारी दी कि इस हादसे के बाद स्कूल के प्रिंसिपल को सस्पेंड कर दिया गया है और इस संबध में दाहोद ग्रामीण थाने में पुलिस ने आकस्मिक मौत का मामला दर्ज कर मामले की जांच शुरु कर दी है।
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इस घटना के बाद विद्यालय के प्रधानाचार्य को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। वैसे तो हमारे भारत देश का प्रशासन अपने आप को मजबूत प्रशासन बताता है फिर क्यों ऐसी घटनाएं सामने आती हैं। विद्यालय के प्रधानाचार्य की लापरवाही की वजह से बच्ची की मौत हो गई, इस घटना ने सभी छात्रों व अभिभावक माता-पिता को चिंता में डाल दिया है। आम लोगों में डर पैदा हो गया है कि यदि स्कूल के प्रिंसिपल ऐसी लापरवाही करते रहेंगे तो विद्यालय के छात्र अपने आप को विद्यालय में सुरक्षित कैसे महसूस करेंगे। इस घटना के बाद मानो ऐसे लगता है कि प्रशासन का ध्यान शिक्षा व्यवस्था की तरफ नहीं है।