को2016 में केंद्र सरकार के द्वारा पूरे देश में 500 और 1000 के नोट बंद करने का फैसला लिया गया था। जिसके बाद पूरे देश में हलचल मच गई थी लोग लंबी कतारों में बैंकों के आगे खड़े थे। यह मोदी सरकार द्वारा लिया गया अहम फैसला था, इस फैसले को चुनौती देते हुए कोर्ट में 58 याचिकाएं दायर की गई थी। जिस पर आज सुनवाई की जानी थी इन याचिकाओं पर जस्टिस अब्दुल नजीर, जस्टिस बी.आर गवई, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यम, जस्टिस बी.वी नागरत्ना की बेंच सुनवाई कर रही थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा आज फैसला सुनाया गया है।
याचिका क्यों दाखिल की गई ?
याचिकाकर्ताओं के अनुसार यह केंद्र सरकार के द्वारा लिया गया सबसे खतरनाक फैसला था। जिसने पूरे देश की अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल मचा दी थी।इनके अनुसार नोटबंदी के लिए सरकार ने जो प्रक्रिया अपनाई थी उसमें कई खामियां थी। जिसने देश के कानून का मजाक बनाकर रख दिया था।याचिकाकर्ताओं के अनुसार सरकार और आरबीआई के बीच बोर्ड मीटिंग के कई दस्तावेज नहीं दिखाए गए थे, जिसके खुलासे के लिए याचिकाकर्ताओं ने इस मामले में 58 याचिकाएं दायर की थी।
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सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा ?
सुप्रीम कोर्ट ने 4:1 बहुमत से केंद्र सरकार के 2016 के नोटबंदी के फैसले को सही बताया कोर्ट ने अपने फैसले में नोटबंदी की अधिसूचना को वैध कहा। सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई और केंद्र के बीच हुई मीटिंग के बारे में कहा, कि नोटबंदी से पहले केंद्र सरकार और आरबीआई के बीच सलाह मशवरा किया गया था। उनके द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया में कोई कमी नहीं थी, इसलिए इस अधिसूचना को रद्द करने की कोई जरूरत नहीं है। केंद्र सरकार को संविधान और आरबीआई एक्ट ने अधिकार दिए हुए है जिनका इस्तेमाल करने से कोई मना नहीं कर सकता है। इस प्रकार आज मोदी सरकार की नोटबंदी को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं को खारिज करते हुए जस्टिस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने 4:1 बहुमत से नोटबंदी के पक्ष में फैसला सुनाया। बेंच ले कहा, कि इतने बड़े आर्थिक फैसले को बदला नहीं जा सकता है।
जस्टिस बी.वी नागरत्ना की राय अलग
जस्टिस बी.वी नागरत्ना के अनुसार नोटबंदी कानून के माध्यम से होनी चाहिए थी जिस तरह से नोटबंदी की गई थी।वह तरीका वैध नहीं था इनके अनुसार नोटबंदी कानून के विपरीत और गैरकानूनी थी।जिसके चलते भारत के लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था।
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केंद्र ने याचिकाओं के जवाब में क्या कहा
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि नोटबंदी को अन्य सभी संबंधित आर्थिक नीतिगत उपायों से अलग करके नहीं देखा जाना चाहिए या इसकी जांच नहीं की जानी चाहिए।नोटबंदी जाली नोटों, बेहिसाब धन और आतंकवाद जैसी गतिविधियों से लड़ने के लिए लिया गया अहम फैसला था। इसकी तुलना आर्थिक व्यवस्था के बहुत बड़े लाभ और लोगों को एक बार दी जाने वाली तकलीफ से नहीं की जानी चाहिए। नोटबंदी ने नकली करंसी के सिस्टम को काफी हद तक बाहर कर दिया है इससे डिजिटल अर्थव्यवस्था को लाभ पहुंचा हैं। इसके अलावा आरबीआई के मुताबिक लोगों को पैसे बदलने के लिए कई मौके दिए गए थे और बड़े स्तर पर व्यवस्था की गई थी आरबीआई अधिनियम के तहत प्रक्रिया का पालन किया गया था।