जूली चौरसिया
उत्तराखंड के जोशीमठ के कई इलाकों में धंसती जमीन, लैंडस्लाइड, दरकती दीवारों की वजह से लोग दहशत में जीने के लिए मजबूर हो गए हैं। जो अपने घर में रह रहे हैं, जिन लोगों के घरों की दीवारें दरक चुकी हैं या जमीन का कोई हिस्सा धंस चुका है वह लोग अपने आशियाने को छोड़कर वहां से पलायन कर रहे हैं। जोशीमठ पर खतरे के काले घने बादल मंडरा रहे हैं। इन सब चीजों को देख कर मन में यह सवाल जरूर आता है कि क्या अब यह शहर पाताल लोक में समाने वाला है। यह शहर बद्रीनाथ धाम से महज 50 किलोमीटर दूर स्थित है।
प्रशासन ने इसके लिए क्या किया?
सबसे ज्यादा कहर मारवाड़ी इलाके में देखा जा रहा है प्रशासन की टीम लगातार ऐसे घरों से लोगों को बाहर निकाल कर सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचा रही है। यहां बहुत सी ऐसी भी जगह है जहां पर जमीन फटने के बाद उसमें से पानी निकल रहा है और पानी का बहाव इतना ज्यादा तेज है कि वह हाइड्रो पावर कॉलोनी की दीवारों को पढ़कर तेजी से निकल रहा है।
#Uttarakhand के चमोली जिले के #Joshimath में हो रहे भू-धंसाव ने अब विकराल रूप ले लिया है। दरअसल सोमवार रात को अचानक मकानों में दरारें आने लगीं जिससे पूरे नगर में दहशत फैल गई। जगह जगह जमीन धसने से पानी निकलने लगा। देखिए ये भयावक तस्वीरें!!#landslide #joshimathsinking #viral pic.twitter.com/FAq29n4t4N
— Moneycontrol Hindi (@MoneycontrolH) January 5, 2023
बढ़ रही लोगों की चिंता
जमीन फटने और दीवारों की दरार से तो लोगों को डर लग तो लग ही रहा है साथ में चिंता भी हो रही है, यह चिंता और बढ़ती ही जा रही है क्योंकि यह दरारें दिन प्रतिदिन और चौड़े होते जा रही हैं। जिसकी वजह से लोग दहशत में रहने के लिए मजबूर हैं। 25 से भी ज्यादा घरों की दीवारों में काफ़ी दरारें आ गई हैं जिसे देखकर लोग अपना घर खाली करने लग गए हैं। इतना ही नहीं लोगों के खेतों से भी पानी के बुलबुले निकल रहे हैं।
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पहले ही जताई थी आशंका
इस शहर में जितनी भी घटनाएं हो रही हैं इसकी आशंका पहले ही पैदा हो गई थी और सरकार की विशेषज्ञों की टीम ने एक रिपोर्ट भी तैयार कर ली थी, जिसमें कहा गया था कि जोशीमठ में पानी का रिसाव, बिना किसी तरकीब के किए गए निर्माण और अन्य कई कारणों से जल धाराओं के प्राकृतिक प्रभाव में रूकावट उत्पन्न हो रही हैं।
यह शहर पूर्व पश्चिम में चलने वाली रिज पर स्थित है इस शहर के ठीक नीचे ही विष्णुप्रयाग के दक्षिण पश्चिम में अलकनंदा और धौलीगंगा नदियों का संगम है। ऐसे में इन नदियों से होने वाला कटाव भी इस धसाव के लिए जिम्मेदार है। इस रिपोर्ट के बाद सरकार ने एक योजना भी बनाई कि जोशीमठ में हो रहे रिसाव को रोकने के लिए अस्थाई सुरक्षा कार्य किए जाएं।
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