जोशीमठ शहर के लोग इस समय डर के साए में जी रहे हैं, वहां घरों में दरारें और जमीन फटने के कारण सड़कें धंस चुकी है शुक्रवार को भूस्खलन की वजह से मंदिर गिरने के कारण आसपास के लोगों में दहशत बनी हुई है। इलाके में लोगों के द्वारा किया गया अति निर्माण, जल रिसाव और मिट्टी का कटाव लोगों के लिए अब जान का खतरा बन गया है। वहां लोगों के घरों में आई दरारे दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, मंदिर के हादसे को लेकर प्रशासन के द्वारा 44 परिवारों को वहां से शिफ्ट किया जा चुका है, जिनके घरों की हालत खतरनाक बन गई थी। घरों की दीवारों में लंबी गहरी दरारें आ गई थी और जमीन धंस गई थी। इसलिए इन जगहों से लोगों को निकाला गया बताया जा रहा है, कि अब तक 603 घरों में दरारें आ गई है और कई घरों की हालत ऐसी है, कि वह कभी भी गिर सकते हैं हालात को देखते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्रियों पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों से इस बारे में बातचीत की है।
क्या कहा मुख्यमंत्री ने ?
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत की और शहर की स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने अधिकारियों से कहा, कि हमारे नागरिकों का जीवन हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने प्रभावित क्षेत्रों मे लोगों के पुनर्वास के लिए कार्य को तेजी से करने के निर्देश दिए है, उन्होंने कहा कि जोशीमठ को सेक्टरो और जोनों में बांटा जाना चाहिए और इसके साथ डेंजर जोन सीवर और ड्रेनेज के उपचार पर काम करने के लिए तेजी से कार्य करना चाहिए।
लोगों को वहां से निकालने के लिए एक तत्काल कार्य योजना के साथ-साथ दीर्घकालिक योजना पर भी काम करना चाहिए। ताकि दोनों पर सही समय पर काम किया जा सके इसके अलावा लोगों की मदद के लिए कस्बे में एक आपदा नियंत्रण कक्ष भी जल्द ही स्थापित किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा, कि जिला अधिकारी को लोगों के लगातार संपर्क में रहना चाहिए और संभावित खतरों वाली जगहों पर नजर रखनी चाहिए। बैठक में अधिकारियों ने बताया, कि यहां करीब 1 साल से भी अधिक समय से जमीन धंस रही है और पिछले कुछ समय से यह समस्या और ज्यादा बढ़ गई है पर अब इसको नियंत्रित कर पाना मुश्किल है। उन्होंने बताया, कि करीब 50 परिवारों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है और एक कॉलोनी में रहने वाले 60 परिवारों का स्थानांतरण किया गया है।
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जोशीमठ में ऐसी स्थिति क्यों बनी?
एक रिपोर्ट के अनुसार जोशीमठ की जमीन फटने के पीछे की वजह विष्णुगार्ड तपोवन हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के लिए बन रही टनल को बताया जा रहा है, जिसकी खुदाई के कारण जमीन पर काफी दबाव पड़ा है। वही जोशीमठ के कई इलाकों में सालों से पानी रिस रहा है जिसकी वजह से आज इतनी बड़ी समस्या लोगों के लिए बनकर खड़ी हो गई है। प्रशासन की अनदेखी से जोशीमठ शहर खत्म होने की कगार पर है फिलहाल स्थिति को देखते हुए NDRF और SDRF की टीम अलर्ट पर है।
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