जूली चौरसिया
जोशीमठ के धंसने का सबसे बड़ा कारण उसका भूगोल है, क्योंकि जोशीमठ भूस्खलन ( landslide) के मलबे पर स्थापित किया गया है। जिसकी वजह से उसकी वजन सहने की क्षमता कम हो जाती है। और वह बड़ी मात्रा में जनसंख्या और निर्माण को सहन नहीं कर सकता और इसके साथ ही दूसरा कारण एनटीपीसी ( नेशनल थर्मल पावर प्लांट ) को बताया जा रहा है।
1976 में जारी रिपोर्ट के अनुसार –
1976 में मिश्रा कमेटी द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के में बताया गया है कि जोशीमठ सीटू चट्टान पर नहीं बल्कि भूस्खलन के मलबे से बनी एक चट्टान पर बसा है, जिसकी वजह से यह किसी भी तरह के निर्माण कार्य को सहन करने में सक्षम नहीं है इसके बावजूद भी वहां एनटीपीसी का कार्य किया गया। वहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि एनटीपीसी द्वारा बनाई गई टनल से कहीं ना कहीं रिसाव हो रहा है। जिसकी वजह से जोशीमठ में धंसाव की स्थिति और गंभीर हो गई है।
Joshimath (Thread)
In 1976, There was a Mishra committee report that clearly said that
1. Joshimath is built on a fault plane (dotted line in left pic is fault plane and what is fault plane explained in right pic)
2. Joshimath is built on a landslide material
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— Agenda Buster (ST⭐R Boy) (@Starboy2079) January 7, 2023
जनसंख्या और निर्माण है कारण –
जोशीमठ शहर के ढलानों को कमजोर और अस्थिर बनाने के पीछे का एक बहुत बड़ा कारण वहां की धरती वजन सहने की क्षमता से ज्यादा मात्रा में आबादी का मौजूद होना और उनकी सुविधाओं के लिए बनाई गई परियोजना और राष्ट्रीय राज मार्ग का चौड़ीकरण है। यह जोशीमठ की भूमि को अस्थिर और कमजोर बनाता है।
एनटीपीसी (NTPC) –
दरअसल एनटीपीसी यहां में तपोवन से लेकर विष्णुगाड़ तक 12 किलोमीटर लंबी टनल बना रही है। तपोवन एक सिरा है और विष्णुगाड़ दूसरा सिरा है जोशीमठ उनके बीच में ऊंची पहाड़ी के ढलान पर बसा है। एनटीपीसी तपोवन में बह रही सहायक नदी धौलीगंगा के पानी से बिजली बनाने की योजना है। ये पानी टनल के जरिये तपोवन से एनटीपीसी के पावर हाउस सेलंग तक आएगा। बिजली बनाने के बाद इस पानी को विष्णुगाड़ स्ट्रीम के रास्ते अलकनंदा में छोड़ दिया जाएगा। लेकिन ये प्रोजेक्ट जितना आसान दिखता है, उतना आसान है नहीं। वैज्ञानिक भाषा में कहें तो एनटीपीसी की टनल ‘इन सीटू रॉक’ को काटकर बनाई जा रही है। इन सीटू रॉक उस चट्टान को कहा जाता है, जो सदियों से स्थापित है और यह भूस्खलन (लैंडस्लाइड) के मलबे यानी पत्थरों, मिट्टी और चट्टानों से बना कोई पहाड़ नहीं है, जैसा कि जोशीमठ का है।
दशकों पहले जारी की गई थी रिपोर्ट –
उत्तराखंड का एक छोटा सा शहर है जोशीमठ, जोशीमठ हिमालय के नीचे एक बहुत पुराने लैंडस्लाइड के मलबे पर स्थित है। दशकों पहले जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार 1976 से ही जोशीमठ लोगों के रहने के लिए एक खतरनाक जगह है, क्योंकि यह शहर मलबे पर स्थापित किया गया था। इसलिए उसकी वजन सहने की क्षमता कम हो जाती है, जो अभी जोशीमठ में हो रही परेशानियों का बड़ा कारण है।
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कहां है जोशीमठ?
उत्तराखंड राज्य में ऋषिकेश बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित एक पहाड़ी शहर है जोशीमठ, यह एक पर्यटक शहर है जो लोग दूर से बद्रीनाथ, फूलों की घाटी, औली और हेमकुंड घूमने आते हैं। वह लोग रात भर आराम करने के लिए यहां रुकते हैं, इतना ही नहीं जोशीमठ सेना के सबसे महत्वपूर्ण डेरों में से एक है।
मटमैले पानी के पीछे का कारण –
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी की वैज्ञानिक रिपोर्ट के अनुसार, यह शहर धौलीगंगा और अलकनंदा नदियों के संगम की धाराओं को पार करते हुए एक रिज पर मौजूद है। विष्णुप्रयाग से बहती धाराओं ने जोशीमठ की मिट्टी को ढीला कर दिया है, जब भूमि के अंदर मौजूद नाले गायब हो जाते हैं और नीचे की ओर बढ़ते हैं, यानी गहरे होते जाते हैं तो पूरी तरह से मटमैला पानी लाते हैं और धौलीगंगा या अलकनंदा में शामिल हो जाते हैं। फिर कई दिनों बाद गंदे पानी के रूप में इस्तेमाल न की जाने वाली नालियों के माध्यम से बाहर निकल जाते हैं।
#Uttarakhand के चमोली जिले के #Joshimath में हो रहे भू-धंसाव ने अब विकराल रूप ले लिया है। दरअसल सोमवार रात को अचानक मकानों में दरारें आने लगीं जिससे पूरे नगर में दहशत फैल गई। जगह जगह जमीन धसने से पानी निकलने लगा। देखिए ये भयावक तस्वीरें!!#landslide #joshimathsinking #viral pic.twitter.com/FAq29n4t4N
— Moneycontrol Hindi (@MoneycontrolH) January 5, 2023
संस्कृत में कमेंट्री, धोती में खिलाड़ी, ऐसा अनोखा टूर्नामेंट देख आप भी रह जाएंगे हैरान