मैना कटारिया
हिंदू धर्म अपनी परंपराओं रीति-रिवाजों त्योहारों और आदर्शों को लेकर जाना जाता है लेकिन बहुत बार ऐसा सुनने में आता है कि हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी देवता हैं, इस बात को सुनकर हर कोई हैरान हो जाता है और उसके मन में यह प्रश्न जरूर आता है कि क्या किसी धर्म में 33 करोड़ देवी देवताओं का होना संभव है? लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी हिंदू वेदों में देवी-देवताओं की कुल संख्या 33 कोटि बताई गई है यहां कोटि से तात्पर्य ‘करोड़’ ना होकर ‘प्रकार’ से है जिसका वर्णन हिंदू शास्त्रों में स्पष्ट रूप से किया गया है।
क्या है कोटि का अर्थ-
कोटि शब्द सुनते ही सभी के मन और मस्तिष्क में करोड़ शब्द उभर आता है लेकिन कोटि शब्द के दो अर्थ होते है। पहला कोटि शब्द का अर्थ करोड़ से है, वही कोटि शब्द का दूसरा अर्थ प्रकार है और हिंदू शास्त्रों में देवी-देवताओं की संख्या को लेकर 33 कोटि शब्द का प्रयोग किया गया है, जिसका अर्थ 33 प्रकार के देवी देवता होते हैं इसका वर्णन स्पष्ट रूप से वेदों और शास्त्रों में मिलता है।
33 कोटि देवी-देवताओं के नाम-
33 कोटि यानी 33 प्रकार के देवी देवता का वर्णन हिंदु शास्त्रों में स्पष्ट रूप से किया गया है जिसमें आठ वसु, ग्यारह रुद्र, बारह आदित्य, इंद्र और प्रजापति शामिल है। हिंदू धर्म के कुछ शास्त्रों में इंद्र और प्रजापति के स्थान पर दो अश्विनी कुमारों का वर्णन मिलता है, जिन्हें मिलाकर 33 प्रकार के देवी-देवताओं की संख्या पुरी होती है।
कौन है आठ वसु-
अप, ध्रुव, सोम, धर, अनिल, अनल प्रत्युष और प्रभाषा शामिल है जिसका अर्थ अग्नि, पृथ्वी, वायु, अंतरिक्ष, सूर्य, द्यौ, चंद्रमा और नक्षत्र से हैं, यह सभी आठ वसु में शामिल किए जाते हैं।
ग्यारह रुद्र क्या है-
ग्यारह रूद्र में शरीर के उन अवयव को शामिल किया जाता है जिसके शरीर से निकलने के बाद रोदना किया जाता है, अर्थात मृत्यु के समय यह 11 रूद्र शरीर से निकल जाते हैं जिसके बाद व्यक्ति को मृत घोषित कर दिया जाता है और उसके परिजन इसका विलाप करते हैं और रोते हैं। ग्यारह रूद्रों के नाम इस प्रकार है प्राण, अपान, व्यान, समान, उदान, नाग, कुर्म, किरकल, देवदत्त और धनंजय इसमें पहले दस देहे प्राण है और ग्यारहवां जीवात्मा।
बारह आदित्य क्या है-
सूर्य का दूसरा नाम आदित्य है और भारतीय कैलेंडर सूर्य पर आधारित होता हैइस प्रकार 12 आदित्य से तात्पर्य 12 माह अर्थात 12 महीनों के नामों से हैजो इस प्रकार है- चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फागुन। पौराणिक कथाओं के अनुसार 12 आदित्य का अर्थ 12 राशियों से भी लिया जाता है।
जानिए हिंदु धर्म में 4 युगों का क्या है महत्व
इंद्र से तात्पर्य बिजली यानी ऊर्जा से है जबकि प्रजापति से तात्पर्य ‘यज्ज’ से है जिससे जल, वायु, शिल्पशास्त्र और औषधियां पैदा होती है इस प्रकार हिंदू धर्म में 33 कोटी के देवी देवताओं की संख्या पूरी होती है।