किरण शर्मा
ज्यादातर लोगों को समोसा बेहद पसंद होता है, घर में हो या बाहर किसी से मिलने के लिए लोग समोसा जरूर मंगवाते है। समोसा भारत में पसंद किए जाने वाला सबसे पुराना स्ट्रीट-फूड है। भारत में समोसा छोटी-छोटी दुकानों से लेकर बड़े-बड़े रेस्टोरेंट और होटलों में बनाया जाता है। इतने सारे फास्ट फूड होने के बावजूद भी आज भी लोगों का समोसे से अलग जुड़ाव है पर क्या आपने कभी सोचा है, कि यह समोसा किसने बनाया होगा? इसको बनाने का आइडिया किसको आया होगा? क्या यह भारत के लोगों ने बनाया या यह बाहर से आया है तो आज हम आपके सारे सवालों का जवाब देंगे।
ईरान के इतिहासकार अबुल फजल बेयागी द्वारा लिखी गई किताब में समोसे के बारे में बताया गया है। जिसके अनुसार समोसा 10वीं सदी में मध्य पूर्व एशिया में बनाया गया था मतलब आज से हजार से भी ज्यादा साल पहले समोसा बना था उस समय पूर्वी एशिया के लोग समोसे को ‘सम्बोसा’ कहते थे।
भारत कब आया समोसा?
समोसा 14वी सदी में भारत आया था दरअसल, 14वी सदी मे कुछ व्यापारी मध्य पूर्व एशिया से दक्षिण एशिया आए थे, तो वह सफर के लिए खाने-पीने का सामान साथ लाए थे, इसी बीच उनके साथ समोसा चला आया था। धीरे-धीरे जब समोसा भारत आया तो खुसरो अमीर ने इसको चखा और उन्हें इसका स्वाद बहुत पसंद आया। जिसके बाद उन्होंने समोसे को अपनी शाही रसोई के व्यंजनों में शामिल कर दिया। इसके बाद हजारों लोगों ने समोसे को चखा और धीरे-धीरे इसका स्वाद लोकप्रिय होता चला गया।
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समोसे का साथी बना आलू
शुरुआत में समोसे मे मेवे को भरकर तेल में तला जाता था लेकिन समोसे को केवल एक ही तरीके से नहीं बनाया जाता है। इजराइल, म्यांमार, पुर्तगाल से लेकर अफ्रीका तक समोसा बनाया जाता है लेकिन हर जगह इसे अलग तरीके से बनाया जाता है। माना जाता है, कि पहला समोसा मांस प्याज और कुछ मेवों के मिश्रण के साथ बनाया गया था और इसे ‘सन्बूशक’ कहते थे। नेपाल में समोसे को
‘सिंगाड़ा’ कहा जाता है, अफ्रीका में ‘सम्बूसा’ , इजराइल में ‘सम्बूसक’ और पुर्तगाल में ‘चमूकस’ कहा जाता है।
इसी तरह भारत में भी समोसे को कई नाम से जाना जाता है। बंगाल में समोसे को ‘सिंघाड़ा’ कहा जाता है जिसे मटन या फिश भरकर बनाया जाता है। यहां आलू और मूंगफली के साथ मटन के भरवां समोसे बनाए जाते हैं। इसके अलावा हैदराबाद में आलू से भरकर तिकोने आकार के समोसे बनाए जाते हैं और मोमोस की तरह दिखने वाले पोटली समोसे बनाए जाते हैं। जिनके अंदर कीमा भरा जाता है। वही उत्तर भारत और दिल्ली की बात करें तो यहां आलू से भरे समोसा का अनोखा स्वाद देखने को मिलता हैं।
समोसे के बारे में खोज क्या कहती है-
जैसा कि हमने बताया, कि समोसे का इतिहास हजारों साल पहले का है। इस बारे में सोनल वेद की किताब Whose Samosa is it Anyway?The story of where ‘Indian’ Food came from में बताया गया है, इसमें लिखा है कि समोसे को पहले फ्राइड फ्लोर पेस्ट्रीज कहा जाता था। जिसको अलग-अलग तरह के मीट और बीफ भरकर फ्राई करके बनाया जाता था। इसके अलावा इस्लामिक और ईरानी कल्चर में समोसे को समसा कहा जाता है। इस समोसे को मध्य एशियाई कल्चर के भाग के रूप में जाना जाता है। इतिहास की कई किताबों में समोसे को ‘संबूसक’, ‘सन्बूसज’ कहा जाता है। समोसे के बारे में इतिहासकार पुष्पेश पंत कहते है, कि लोग समोसे को भारतीय मानते है लेकिन यह यहां का व्यंजन नहीं है, यह बाहर से आया है और हर जगह इसे अलग अलग तरह से बनाया जाता है।
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