किरण शर्मा
देश में अक्सर ऐसी फिल्मों का विरोध होता आया है, जो किसी सांप्रदायिक या धर्म के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाती है।
लोग ऐसी सोच के प्रचार को स्वीकार नहीं करते है। हाल ही में, एक ऐसी फिल्म रिलीज हुई है जो इस वाक्य से संबंधित है और लोगों के बीच काफी सुर्खियां बटोर रही है। हम बात कर रहे हैं 2016 में ढाका टेरर अटैक पर आधारित फिल्म ‘फ़राज़’ की जोकि फिल्म निर्माता ‘हंसल मेहता’ द्वारा निर्देशित की गई है।
इस फिल्म को भले ही भारत में
मंजूरी मिल गई है लेकिन बांग्लादेश में फिल्म की स्क्रीनिंग पर रोक लगा दी गई है। बांग्लादेश उच्च न्यायालय में फिल्म के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। जिसके बाद बांग्लादेश में हंसल मेहता द्वारा निर्देशित इस फिल्म
के सिनेमाघरों में प्रचार पर रोक लगाने का आदेश दिया गया है।
ढाका-टेरर अटैक-
ढाका टेरर अटैक पर आधारित फिल्म फ़राज़ में वास्तविक आतंकी हमले पर होस्टेज ड्रामा दिखाया गया है। जिसमें 2016 में ढाका मे स्थित ‘होली आर्टीशन कैफे’ में हुए हमले को दर्शाया गया है। आतंकियों ने इस कैफ़े को पूरी तरह से तबाह कर दिया था,
इस हमले में 29 लोग मारे गए थे।
जिनमें से 18 विदेशी नागरिक थे
इस हमले के आरोपी आतंकवादियों को सजा-ए-मौत दी गई थी।
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किस वजह से हो रहा फिल्म का विरोध?
बांग्लादेश उच्च न्यायालय ने इस फिल्म को बांग्लादेश में दिखाने पर रोक लगा दी है। ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, करीम ने बताया
कि फिल्म में दो आतंकवादियों को बात करते हुए दिखाया गया है
जिनमें से एक का अंबिता कबीर के साथ संबंध था। फिल्म में उनके पहनावे को इस तरह दिखाया गया है, कि हमारे सभ्य समाज में
पढ़े-लिखे परिवार कभी नहीं पहनेंगे। उनके अनुसार फिल्म में लड़की के किरदार को नीचा दिखाया गया है। इसके अलावा इसमें कानून प्रवर्तन अधिकारियों की विफलता को दिखाया गया है जो हमारी संप्रभुता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। इसलिए इस फिल्म को बांग्लादेश के किसी भी मंच पर नहीं दिखाया जाना चाहिए।
फिल्म के खिलाफ दायर की गई याचिका-
फिल्म के विरोध के कारण बांग्लादेश उच्च न्यायालय में इसके खिलाफ याचिका दायर की गई थी। अंबिता कबीर की मां रूबा अहमद ने रिट याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति एमडी खसरुज्ज्मा
और एमडी इकबाल कबीर
की बेंच ने बांग्लादेश में इस फिल्म की स्क्रीनिंग पर रोक लगाने का
आदेश दिया है। इसके अलावा अभी तक इस फिल्म को बांग्लादेश फिल्म सेंसर बोर्ड से मंजूरी नहीं मिली है। याचिकाकर्ता रूबा अहमद का दावा है, कि इससे बांग्लादेश की प्रतिष्ठा धूमिल हो सकती है।
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