किरण शर्मा
विदेशों में अच्छी नौकरी पाना और सेटल होना कई लोगों का सपना होता है और इसी चाह में वह आंख बंद करके एक ऐसे जाल में फंस जाते हैं, जिसका बाद में उन्हें पछतावा होता है। आज के दौर में कई ऐसी फर्जी नौकरी देने वाली एजेंसियां काम कर रही है, जो विदेशों में काम की तलाश करने वाले लोगों की
फिराक में रहती है और उनके साथ ठगी करके उन्हें अपने जाल में फंसा लेती है। हाल ही में, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग और विदेश मंत्रालय ने लीबिया में फंसे 12 भारतीयों को सुरक्षित अपने घर पहुंचाने और वापस लाने का काम किया है। जिनमें से ज्यादातर व्यक्ति सिख है, जिन्हें दुबई में एक फर्जी एजेंट ने
अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी देने झांसा देकर फंसा लिया था
और बाद में उन्हें बंधुआ मजदूर के रुप में काम करने के लिए मजबूर किया गया था।
क्या कहा पीड़ित लोगों ने-
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग और विदेशी मंत्रालय के द्वारा 12 भारतीयों को लीबिया से रेस्क्यू किया गया। जिनमें से अधिकांश पंजाब के रहने वाले हैं, दिल्ली पहुंचने के बाद उन्होंने अपनी आपबीती कहानी सुनाते हुए बताया, कि उनसे 1 दिन में 15 घंटे काम करवाया जाता था और किसी भी तरह का कोई पैसा नहीं दिया जाता था यदि वह काम करने के लिए मना करते थे तो उन्हें पीटा जाता था। इनमें से अधिकांश पुरुष वह थे जिन्होंने लॉकडाउन के समय नौकरी खो दी थी और दिसंबर और जनवरी के बीच भारत छोड़ने से पहले मैकेनिक और मजदूरों के रूप में यहां काम किया करते थे। इस फर्जी नौकरी रैकेट के चलते उन्हें लीबिया में मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना के साथ-साथ ठगी का भी सामना करना पड़ा था।
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एनसीएम अध्यक्ष लालपुरा ने कहा-
इस मामले पर एनसीएम अध्यक्ष इकबालसिंह लालपुरा ने कहा, कि
यह मामला पंजाब जैसे राज्यों के गरीब मजदूरों और बेरोजगार युवाओं की समस्याओं को ध्यान में लाता है, जो एजेंटों के जाल में फंस जाते हैं और फर्जी नौकरी रैकेट के शिकार बन जाते हैं। इसके अलावा उन्होंने कहा, कि आयोग आने वाले सप्ताह में अन्य राज्यों को इस मुद्दे पर राष्ट्रीय सलाह जारी करेगा। इस गंभीर समस्या के चलते लालपुरा ने मांग की, कि पंजाब सरकार युवाओं को ऐसे एजेंटों के बहकावे में आने से रोकने के लिए जल्द उपाय करें।
इस तरह बचाए गए लोग-
लालपुरा ने बताया, कि एनसीएम द्वारा 6 फरवरी को MEA से अनुरोध किया गया, कि सरकार उन युवाओं को वापस लाएं जिन्हें एक एजेंट फर्जी नौकरी रैकेट के चलते लीबिया ले गया था। जिसके बाद ट्यूनीशिया दूतावास के साथ संपर्क करके बचाव अभियान चलाया गया। जिनमें से फरवरी और मार्च के बैचो मेंं से 12 लोग वापस लाए गए। उन 12 में से एक बिहार का व्यक्ति है और दूसरा हिमाचल प्रदेश का है।
पंजाब के जमालदीन ने बताया-
लीबिया से लाए गए पंजाब के जमालदीन ने बताया, कि उसे अच्छी तनख्वाह पर दुबई में
नौकरी देने का वादा किया गया था। इसके लिए उसके साथ और लोगों ने भी यात्रा के खर्च के लिए कर्जा लिया था। हर व्यक्ति ने 50,000 से 70,000 रुपए के बीच खर्च किया था लेकिन दुबई जाकर उन्हें पता चला, कि यहां कोई नौकरी नहीं है, तो उनसे भारत वापस जाने के लिए या लीबिया जाने को कहा गया। उन लोगों को काम की जरूरत थी इसलिए वह लीबिया चले गए जहां उन्हें मजदूरों के शिविर में छोड़ दिया गया। जहां निजी ठेकेदारों ने उनसे बिना पैसों के काम करवाया, उनके साथ मारपीट की, धमकाया और उन्हें खाना तक नहीं दिया था।
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