दिल्ली में वाहन चोर अब GPS लगे कारों के मालिकों को सतर्क करने और उनके स्थान का खुलासा करने से उन्हें रोकने के लिए इलेक्ट्रॉनिक जैमर का इस्तेमाल कर रहे हैं। पुलिस वालों को ऑटोमोबाइल चोरी के इस तरीके का पता तब लगा जब उन्होंने एक अच्छे तेल नेटवर्क का पता लगाया जो कि दिल्ली में कारों की चोरी कर रहा था और उन्हें नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश और पूर्वी चंपारण जैसे क्षेत्रों में भेज रहा था।
यह भी पढ़ें: Delhi: यमुना नदी के पानी में बढ़ा अमोनिया का स्तर, इन इलाकों में 2 दिनों तक नहीं आएगा पानी
चोरों के पास से बरामद किए गए-
द्वारका के DCP एम. हर्षवर्धन ने गिरोह के चार सदस्यों की गिरफ्तारी की पुष्टि की और बाकी की तलाश की जा रही है। डीसीपी ने कहा कि हमने चोरी की गई 12 कारें, एक इलेक्ट्रॉनिक जैमर, अलग-अलग कारों के मॉडल की 345 चाबियां इसके साथ-साथ एक चाभी बनाने वाली मशीन और लाखों की दो प्रोग्रामिंग मशीनें भी बरामद की हैं।
चोरों के पास से पुलिस के तीन पिस्तौल, 14 कारतूस और 3 वॉकी टॉकी भी बरामद किए गए। जिसका इस्तेमाल गिरोह के सदस्य आपस में बातचीत करने के लिए किया करते थे।
सबसे पहले पुलिस ने द्वारका सेक्टर 26 से सुनील और उसके साथी मनजीत के नाम के एक संदिग्ध को पकड़ा। इसके बाद उन्होंने उनके ठिकानों से चोरी की है कारों के साथ-साथ ढेर सारे उपकरण भी बरामद किए।
चोरों ने क्या बताया?
दोनों के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, पुलिस ने बिहार के पूर्वी चंपारण में छापा मारा और अमजद खान नाम के एक रिसीवर को गिरफ्तार कर लिया। अमजद खान ने पुलिस को अरुणाचल प्रदेश में अपने सहयोगी नकुलम बिसई के पास ले गया, जो कि एक ट्रैवल एजेंसी चलाता था। बिसई ने अपने और अपने सहयोगियों के लिए आवश्यक कार के मेक, मॉडल और रंग के बारे में खान को बताया, जिन्होंने बदले में सुनील और मंजीत को जानकारी दी।
जैमर का इस्तेमाल-
चोरों ने दो कारों को अरुणाचल पहुंचाने तक जैमर का इस्तेमाल करके ट्रेकिंग सिग्नल को ब्लॉक कर दिया, ट्रैवल एजेंसी में काम करने वाले इंजीनियरों के द्वारा जीपीएस को हटा दिया गया था। दोनों चोरों ने यह बताया कि ऐसे जैमर कई अन्य गिरोह द्वारा भी इस्तेमाल किए जाते हैं।
डीसीपी ने क्या कहा?
डीसीपी वर्धन ने कहा कि आरोपी ने दावा किया कि जैमर लगभग 1 लाख रुपए में खरीदा जबकि प्रोग्रामिंग मशीनों की कीमत लगभग 1.8 लाख रुपए की थी। चाबी बनाने वाली मशीन की कीमत 1.6 लाख रुपए प्रति पीस है।
पुलिस का कहना है कि जीपीएस जैमर का इस्तेमाल अक्सर बड़ी हस्तियां और राजनेता करते हैं, जिन्हें अपनी जान का खतरा होता है। जैमर का उपयोग किसी भी ट्रैकिंग डिवाइस को रोकने के लिए किया जाता है।
यह भी पढ़ें: रेलवे ने वंदे भारत ट्रेनों पर पथराव करने वालों को दी चेतावनी, हो सकती है इतने साल की सज़ा