अघोरी शिव के उपासक होते हैं और वीभत्स में ही ईश्वर के प्रति समर्पण मानते हैं। उनका मानना है कि अगर किसी शव के साथ संबंध बनाते समय ईश्वर की भक्ति में मन लगा हो तो इससे बढ़कर साधना क्या होगी। ऐसा माना जाता है कि, केवल शव ही नहीं बल्कि अघोरी जीवित व्यक्ति के साथ भी संबंध बनाते हैं।
नहीं करते ब्रह्मचर्य का पालन:
अघोरी संबंध बनाते समय शव पर राख डालकर ढोल नगाड़े और मंत्रों के बीच इस कार्य को करते हैं और इसे अपनी साधना का ही एक हिस्सा मानते हैं। अघोरी जीवित महिला के साथ उस समय संबंध बनाते हैं जब उसके मासिक धर्म चल रहे हों। उनका मानना है कि ऐसा करने पर उनकी शक्ति बढ़ती है। अघोरी कभी भी ब्रह्मचर्य का पालन नहीं करते हैं।
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खोपड़ी को खाने के पात्र की तरह करते हैं इस्तेमाल:
खुद को भगवान शिव का उपासक बनाने वाले अघोरी के पास एक नरमुंड यानी की खोपड़ी जरूर होती है। इसे कापालिक भी कहा जाता है। जिसे अघोरी भोजन के एक पात्र की तरह इस्तेमाल करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि, भगवान शिव ने ब्रह्मा जी का सिर काट कर उसे पूरे ब्रम्हांड में घुमाया था।
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इंसान के कच्चे मांस को लेते हैं आहार के रूप में:
अघोरी, शिव के इसी स्वरूप की आराधना करते हैं। अघोरी अपने पास एक कुत्ता भी पालते हैं। इंसानों के कच्चे मांस को वह अपने आहार के रूप में खाते हैं, यही कारण है कि अघोरी श्मशान से अधजले शवों का भोजन करते हैं। ऐसा करने से अघोरी की तंत्र साधना की शक्ति और प्रबल होती है।
जो बोलते हैं वह हो जाता है सच:
माना जाता है कि, एक सच्चा अघोरी जो बोलता है वो सच हो जाता है। क्योंकि वह अपने तपोबल और कठिन तपस्या व साधना से कई सिद्धियां प्राप्त कर लेते हैं। आमतौर पर अघोरी किसी से बात नहीं करते और अपने प्रभु की साधना में ही लीन रहते है। कुंभ मेले के दौरान भी बहुत से अघोरी आपको घूमते हुए दिख जाएंगे, जो खुद को सच्चा अघोरी बताते हैं जबकि वह नकली होते हैं और लोगों को लूटना ही उनका काम होता है।