किरण शर्मा
भारतीय बैंक संघ और सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंक संघों के बीच 5 दिन का कार्य सप्ताह करने के लिए बातचीत चल रही है। जिसके लिए दोनों बैंकों के बीच सैद्धांतिक समझौता तय हो गया है। इसके अनुसार बैंकों में
5 दिनों को ही वर्किंग डेज के तौर पर रखा जाएगा लेकिन सूत्रों के अनुसार इसे पूरी तरह से लागू करने के लिए निजी क्षेत्र के बैंकों और सहकारी बैंकों के बीच व्यापक सहमति शामिल करनी होगी। सभी बैंकों की सहमति के बाद ही यह प्रस्ताव पूरी तरह से लागू किया जा सकेगा।
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हालांकि, इसके लिए इंडियन बैंक्स एसोसिएशन और यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के बीच बातचीत पूरी हो चुकी है लेकिन अभी यह प्रस्ताव वित्त मंत्रालय को भेजा जाना बाकी है। इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक से भी चर्चा की गई है, कि क्षेत्रीय, ग्रामीण और सहकारी बैंकों में पांच दिवसीय कार्य सप्ताह को कैसे बोर्ड पर लाया जाएगा और इससे क्या असर पड़ेगा। इस प्रस्ताव को लाने से पहले यह सुनिश्चित करना जरूरी है, कि इससे चेक क्लीयरिंग और अन्य कार्य पर क्या असर पड़ेगा और निजी बैंकों के खुले रहने पर सार्वजनिक क्षेत्र के कारोबार पर भी असर ना पड़े।
इस पांच दिवसीय कार्य सप्ताह के अनुसार बैंकों के किसी भी नुकसान की भरपाई के लिए प्रतिदिन काम के घंटों को 40 मिनट तक बढ़ाया जाएगा। जिसका मतलब यह है, कि अब जैसे बैंकों का समय 10 बजे खुलने और 5 बजे बंद करने का है। इसके बाद वह समय सप्ताह में 5 दिन के अनुसार सुबह 9:40 से शाम 5:20 बजे तक का हो जाएगा।
फिलहाल, बैंक हर महीने के सिर्फ दूसरे और चौथे शनिवार के दिन बंद रहते हैं। जिसको लेकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक यूनियन
काफी लंबे समय से बैंकों के काम के लंबे समय और काम की कठिन प्रकृति को लेकर सप्ताह में 5 दिन काम की मांग कर रहे थे।
इसके अलावा बैंकरों ने तर्क दिया, कि अब अधिकांश लोग मोबाइल
और इंटरनेट बैंकिंग ऐप के जरिए भुगतान और लेन-देन करते हैं
जिससे लोगों को बैंक आने की भी जरूरत नहीं पड़ती है। इसके अलावा शनिवार को बैंक शाखाओं के खुलने को लेकर जनता को भ्रम बना रहता है
इसलिए बैंकों के लिए 5 दिन का कार्य सप्ताह को सार्वजनिक तौर पर मंजूरी देना बेहतर है। इसके लिए मंजूरी मिलने के बाद सरकार के द्वारा नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट की धारा 25 के तहत सभी शनिवार को छुट्टी के रूप में अधिसूचित करना होगा लेकिन यह कब तक किया जाएगा अभी इस बारे में कोई अधिसूचना नहीं दी गई है।
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