हमने अभी तक यही जाना है कि इलेक्ट्रिक कारें (Electric Cars) पर्यावरण (Environment) के लिए फायदेमंद हैं और इंजन वाली कारें इसे नुकसान पहुंचा रही है। लेकिन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर (IIT Kanpur) की एक स्टडी इस बात को झूठा साबित कर रही है। संस्थान ने हाल ही में इलेक्ट्रिक कारों के बारे में एक अध्ययन किया है, जिसके अनुसार ये कारें हाइब्रिड कारों और पारंपरिक इंटरनल कंबस्टन इंजन कारों की तुलना में पर्यावरण को अधिक नुकसान पहुंचाने वाली हैं।
अधिक ग्रीनहाउस गैसें उत्पन्न कर रही हैं इलेक्ट्रिक कारें-
अंग्रेजी वेबसाइट इंडिया टुडे के मुताबिक आईआईटी कानपुर की इंजन रिसर्च लैब ने जो अध्ययन किया है उसके अनुसार, इलेक्ट्रिक कारों के निर्माण, उपयोग और स्क्रैपिंग से हाइब्रिड और पारंपरिक इंजन कारों की तुलना में 15 से 50 प्रतिशत अधिक ग्रीनहाउस गैसेज़ (जीएचजी) उत्पन्न हो रही हैं।
महंगी भी पड़ रही हैं इलेक्ट्रिक कारें-
इलेक्ट्रिक कारों पर किलोमीटर के आधार पर किए गए विश्लेषण से ये भी सामने आया है कि इनकी खरीद, बीमा और रखरखाव भी 15 से 60 प्रतिशत महंगा हो रहा है। अध्ययन ने यह भी दिखाया कि हाइब्रिड इलेक्ट्रिक कारें पर्यावरण के लिए सबसे बेहतर हैं।
आईआईटी कानपुर ने एक जापानी संगठन के साथ मिलकर इलेक्ट्रिक, हाइब्रिड और पारंपरिक कारों पर अध्ययन किया है। इस अध्ययन में कारों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया – दो विदेशी श्रेणियाँ और एक भारतीय श्रेणी ताकि वाहनों की लाइफ साइकल और उनकी ओनरशिप कॉस्ट को निकाला जा सके।
आईआईटी कानपुर ने क्या डिटेल स्टडी की है?
आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर अविनाश अग्रवाल द्वारा ये अध्ययन किया गया है जिसके अनुसार सामान्य वाहनों की तुलना में बैटरी वाली इलेक्ट्रिक कारों (BEV) से 15-50 प्रतिशत अधिक ग्रीनहाउस गैसेज़ (GHG) उत्पन्न करती हैं।
बीईवी में बैटरी को बिजली से चार्ज करना होता है, जबकि वर्तमान में देश में 75 प्रतिशत बिजली कोयले से उत्पन्न होती है, जो कार्बन-डाइ-ऑक्साइड को उत्पन्न करता है। इसी तरह, बैटरी कारों की खरीद, उपयोग और रखरखाव की लागत हर किलोमीटर प्रति हाइब्रिड और पारंपरिक कारों की तुलना में 15-60 प्रतिशत अधिक है।
हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन (HEV) दूसरी दो श्रेणियों की तुलना में सबसे कम जीएचजी (ग्रीन हाउस गैस) उत्पन्न करते हैं, लेकिन इन दो श्रेणियों की तुलना में ये महंगी होती है।
क्यों महंगी होती हैं हाइब्रिड कारें-
सरकारी करों की उच्च रकम हाइब्रिड कारों की महंगाई का मुख्य कारण है। आईआईटी की रिपोर्ट ने यह दर्शाया है कि यदि सरकार साफ तकनीक को प्रोत्साहित करना चाहती है, तो हाइब्रिड कारों को बैटरी वाहनों के समान करों पर टैक्स लगाना चाहिए।
यह कदम स्वच्छ परिवहन को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ संचारशीलता को भी बढ़ाएगा। हाइब्रिड कारें पर उच्च कर उनपर नगेटिव प्रभाव डालते हैं, अगर सरकार टैक्सों में कमी लाए तो यह उपयोगकर्ताओं के लिए भी सस्ता विकल्प प्रदान करेगा।
यह अध्ययन सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है कि वे किफायती और पर्यावरण अनुकूल वाहनों को प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय सुविधाएं प्रदान कर सकते हैं। जबकि अधिक मूल्यवान कारें आम जनता के लिए अपूर्ण साबित होती हैं, ये रिसर्च बतलाती है कि हाइब्रिड कारें मध्यमवर्ग के लोगों के लिए सुलभ विकल्प हो सकती हैं।
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टैक्सी में इलेक्ट्रिक वाहन किफायती साबित होंगे-
रिपोर्ट यह भी बतलाती है कि इलेक्ट्रिक कारें भले ही पर्यावरण के लिए नुकसानदेय साबित होती हो लेकिन इनकी खरीद पर सरकारी छूट और अन्य कारणों के कारण ये टैक्सी चालकों के लिए लाभ देने वाली साबित हो रही हैं।
हाइब्रिड कारें परंपरागत इंजन कारों की तुलना में एक लीटर पर आधा से दोगुनी माइलेज देती हैं, जो पर्यावरण के लिए लाभप्रद है। वहीं पर्सनल इस्तेमाल के लिए इंजन कारे अधिक उपयोगी हैं वहीं रिसर्च का मानना है कि टैक्सी कार्यों के लिए बैटरी इलेक्ट्रिक कारें ही अधिक सस्ती हैं क्योंकि इनकी प्रति किलोमीटर कोस्ट अन्य दोनों कारों की तुलना में प्रतिदिन काफी कम है।
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