आप चिपको आंदोलन के बारे में तो जानते ही होंगे, ये आंदोलन 1970 के दशक का सबसे प्रभावी आंदोलन माना जाता और आज एक बार फिर से इतिहास खुद को दोहरा रहा है, कूजू वन क्षेत्र में मौजूद बूढ़ा खाप गांव में स्पंज आयरन फैक्ट्री का विस्तार करने के लिए 22.92 एकड़ ज़मीन का अधिग्रहण किया जाना है। जिसके लिए पेड़ों की गिनती करने वन विभाग की टीम और पुलिस के जवान गांव पहुंचे, लेकिन ग्रामीणों ने उन्हें पेड़ की गिनती करने से रोक दिया, कूजू झारखंड के जिले रामगढ़ में मौजूद एक नगर है।
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— Rohit mahato (@Rohitmahato1932) June 6, 2023
जान दे देंगे, लेकिन किसी भी कीमत पर पेड़ों को कटने नही देंगे-
गांव के लोगो का कहना है कि वो अपनी जान दे देंगे, लेकिन किसी भी कीमत पर पेड़ों को कटने नही देंगे। उनका कहना है कि जंगल हमारे पर्यावरण के संतुलन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। ग्रामीणों के विरोध को देखने के बाद पेड़ों के गिनती के लिए वहां भारी संख्या में पुलिस कर्मी तैनात किए गए, जिसके बाद ग्रामीणों और पुलिस कर्मियों में नोक-झोंक हो गई। इस नोंक-झोंक में पुलिस कर्मियों द्वारा ग्रामीणों को वहां से हटा दिया गया और पेड़ों की गिनती शुरु कर दी गई। लेकिन जैसे ही पुलिस कर्मियों ने पेड़ों की गिनती शुरु की गांव की सारी महिलाएं पेड़ों से चिपक गईं और पेड़ों को बचाने की गुहार लगाने लगीं।
मत छेड़ आदिवासियो को वरना लड़ना मुश्किल होगा। 🏹🏹
एक बार फिर ऐसा इतिहास रच देगें कि पढ़ना मुश्किल होगा।। जोहार उलगुलान 🏹✊🫵🫵🫵🫵🫵🫵🫵🤕🤕🏹#बुढ़ाखाप_जंगल_बचाओ#RJ_को_विशेष_राज्य_दर्जा_दो pic.twitter.com/gCElcJJfLT
— VISHAL MINA 💙 (@VISHALMEENA_84) June 7, 2023
गांव के लोगों का कहना-
गांव के लोगों का कहना है कि अगर पेड़ों को काटा गया तो यहां पर प्रदूषण बढ़ जाएगा, जिसके कारण गांव में गंभीर बिमारी फैल जााएगी। पेड़ों की गिनती के दौरान कूजू के थाना प्रभारी विनय कुमार भारी पुलिस बल के साथ वहां मौजूद थे, उन्होंने ग्रामीणों के साथ बात-चीत कर उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन ग्रामीणों ने उनकी एक नहीं सुनी, जिसकी वजह से पुलिस को थोड़े बल का प्रयोग करना पड़ा। जिसके बाद ग्रामीणों को वहां से हटा दिया गया और पेड़ों की गिनती शुरु कर दी गई।
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चिपको आंदोलन-
सन् 1970 के दशक में पेड़ों को बचाने के लिए ऐसा ही एक आंदोलन किया गया था, जिसे आज हम सभी चिपको आंदोलन के नाम से जानते हैं। उत्तराखंड के चमोली गांव में पर्यावरण की रक्षा के लिए एक अहिंसक और अनोखआ आंदोलन हुआ था। इस आंदोलन का मकसद व्यवसाय के लिए वनों की जो कटाई की जा रही थी उसे रोकना था, जब महिलाओं के समूह ने पेड़ों की कटाई को रोकने के लिए पेड़ों से चिपक कर विरोध किया तो पूरे देश में हलचल मच गई।
बड़ी संख्या में महिलाओं ने भाग लिया-
इस आंदोलन की खास बात ये थी की इसमें बड़ी संख्या में महिलाओं ने भाग लिया था, इस आंदोलन की नीव मशहूर पर्यावरणविद सुंहरालाल बहुगुणा, कामरेड गोविंद सिंह रावत, चंडीप्रसाद भट्ट और श्रीमती गौर देवी के नेतृत्व में रखी गई थी।
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