मई महीने में रुसी कच्चे तेल के सबसे बड़े खरीदार के रूप में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने निजी क्षेत्र की प्रमुख रिलायंस इंडस्ट्री को पछाड़ दिया हैं। दरअसल बीते दस महीनो में यह पहली बार हुआ है जब मई महीने में IOC ने निजी क्षेत्र के रिफाइनर RIL और NEL दोनों के ही तेल संचय के आयात को कम कर दिया है।
IOC ने मई महीने में प्रतिदिन लगभग 783,000 बैरल कच्चे तेल का आयात किया है, जो अप्रैल महीने के मुकाबले 66.5 प्रतिशत अधिक है। जबकि वहीं RIL ने मई महीने में तकरीबन 525,000 बैरल कच्चे तेल का आयात किया जो उसके अप्रैल महीने के आयात से केवल 1.3 प्रतिशत अधिक है और वहीं दूसरी तरफ NIL का कच्चे तेल का आयात 196,000 के करीब था जो कि महीने-दर-महीने 7.2 फ़ीसदी तक कम होता चला गया।
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IOC 80.55 मिलियन टन प्रतिवर्ष की समेकित क्षमता के साथ देश की सबसे बड़ी रिफाइनरी है। जबकि वहीं RIL 68.2 mtpa की प्रोसेसिंग क्षमता के साथ देश का दूसरा सबसे बड़ा रिफाइनर है और nil 20 mtpa रिफाइनरी का सञ्चालन करती है। कुल मिलाकर भारत के सभी रिफाइनरी ने मई माह में तकरीबन 2.16 मिलियन bpd तक रुसी कच्चे तक का आयात किया है। भारत के कुल कच्चे तेल के आयात का लगभग 45 प्रतिशत IOC द्वारा किया गया है। साल 2022 में जून, जुलाई, और अक्टूबर माह में IOC ने केवल एक ही महीने में RIL के मुकाबले सबसे ज्यादा रुसी कच्चे तेल का आयात किया था। तब से ही भारतीय रिफाइनरों ने यूक्रेन पर मॉस्को द्वारा फरवरी में 2022 में किये गए आक्रमण के बाद से रियायती रुसी बैरल की खरीद शुरू कर दी गयी थी। हालाँकि उस समय रूस से भारत के कच्चे तेल का कुल आयात साल 2023 में मई माह के आयात का आधा प्रतिशत था।
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आपको बता दें कि जब से यूरोपीय संघ और अन्य कई प्रमुख पश्चमी ताकतों ने शुरूआती दिसंबर महीने से ही रूस के कच्चे तेल के आयात पर मूल्य सीमा लागू की है, RIL महीने-दर-महीने कच्चे तेल का सबसे बड़ा भारतीय खरीदार रहा है।
कैटोना के अनुसार, घरेलु बाजार पर ध्यान निजी क्षेत्र के खिलाड़ियों के मुकाबले IOC के लिए कम लाभदायक हो सकता है, जो सस्ते कच्चे फीडस्टॉक से आने वाले किसी भी मार्जिन को बढ़ावा देता है। इस मामले में रियायती रुसी तेल सभी के लिए स्वागत योग्य है। कैटोना ने कहा कि RIL डीजल और पेट्रोल उत्पादन के लिए सेकेंडरी रिफाइनिंग फीडस्टॉक के रूप में एक लाख बीस हज़ार से एक लाख तीस हज़ार तक के ईंधन तेल भी खरीदती है । जिसका सीधा-सा मतलब यह है की रूस से रिफाइनरी फीडस्टॉक की कुल खरीद कच्चे तेल के आयात के आंकड़ों से कही ज्यादा होगी।