शनिवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि ndia-Myanmar-Thailand Highway एक बहुत मुश्किल परियोजना रही है और इसे फिर से शुरु करने के तरीको को ढूंढना सरकार की प्राथमिकता (First Priority) है। बैंकॉक में मौजूद जयशंकर ने MGC (Mekong Ganga Cooperation) की 12वीं विदेश मंत्रियों की बैठक में कहा कि आज हमारी प्राथमिकता फिर से इस परियोजना को शुरू करने के तरीके ढूंढना है। India Thailand और Myanmar लगभग 1,400 किलोमीटर लंबे राजमार्ग पर काम कर रहे हैं, जो देश को जमीन के जरिए दक्षिण पूर्व एशिया से जोड़ेगा, इससे देशों के बीच व्यापार, स्वास्थ्य, शिक्षा और पर्यटन संबंधों को भी बढ़ावा मिलेगा।
70 प्रतिशत तक काम पूरा-
इससे हाइवे पर लगभग 70 प्रतिशत तक काम पूरा किया चुका है, जो मणिपुर में मोरेह को म्यांमार के माध्यम से थाईलैंड में माई शार्ट से जुड़ेगा। सरकार का उद्देश्य इस परियोजना को दिसंबर 2019 तक पूरा करने का था, लेकिन राजमार्ग परियोजना में हुई देरी के कारण इसे अभी तक शुरू नहीं किया गया है।
असली चुनौती-
जयशंकर का कहना है कि म्यांमार की स्थिति के कारण यह परियोजना कठिन हो गई है, क्योंकि इस हाईवे का एक बड़ा हिस्सा देश में सड़क नेटवर्क है, आज हमारे सामने असली चुनौती जिस पर हम काम कर रहे हैं वह यह है कि हम थाईलैंड के बीच सड़क संपर्क कैसे बनाएं। हमारे पास पूर्वोत्तर भारत में यह परियोजना है कि हम अगर म्यांमार के माध्यम से सड़क बनाते हैं तो वह सड़क थाईलैंड से जुड़ेगी है।
Met H.E. U Than Swe on the sidelines of the Mekong Ganga Cooperation (MGC) meeting in Bangkok today.
Our discussions focused on connectivity initiatives that have a larger regional significance. These will also be discussed at the MGC meeting this afternoon. Stressed the… pic.twitter.com/vaOoa0RAFL
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) July 16, 2023
परियोजना को कैसे फिर से शुरू किया जाए-
लेकिन यह परियोजना बहुत कठिन रही है, मुख्य रूप से म्यांमार में मौजूद होने के कारण यह एक बहुत ही कठिन परियोजना है और आज हमारी प्राथमिकताओं में से एक यह है कि इस परियोजना को कैसे फिर से शुरू किया जाए, इसे कैसे अनलॉक किया जाए और इसे कैसे बनाया जाए। क्योंकि इसका 70% तक काम पूरा हो चुका है। India-Myanmar-Thailand highway मणिपुर में मोरेह और म्यांमार के माध्यम से थाईलैंड में माए सोत को जोड़ने वाला त्रिपक्षीय राजमार्ग, कंबोडिया, लाओस और इसके विस्तार के साथ एक निर्बाध, कुशल और एंड टू एंड परिवहन कॉरिडोर स्थापित करने के लिए बनाया गया था।
भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी-
यह परियोजना भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो दक्षिण पूर्व एशिया देशों के साथ भारत के संबंधों को बेहतर बनाने पर केंद्रित है। यह भारत और आसियान के बीच ज्यादा कनेक्टिविटी प्रदान करेगा, जो लंबे समय से आसियान भारत साझेदारी के लिए एक आर्थिक और राजनीतिक उद्देश्य रहा है।
इस साल के आखिर शुरु होने की उम्मीद-
थाईलैंड और म्यांमार को जोड़ने वाला म्यावाड्डी-माए सोत खंड जुलाई 2021 को पूरा हो गया था, हालांकि सरकार ने पूरा होने की समय सीमा के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है। लेकिन इस साल के आखिर तक राजमार्ग के चालू होने की उम्मीद जताई जा रही है। इससे पहले दिसंबर 2020 में बांग्लादेश ने ढाका से व्यापार और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए इस परियोजना में शामिल होने की रूचि दिखाई थी।
मादक पदार्थों की तस्करी-
म्यांमार में हिंसा और अशांति की वजह से देश में नशीली दवाओं की समस्या पैदा हो गई है, अंतरराष्ट्रीय नारकोटिक्स नियंत्रण बोर्ड और संयुक्त राष्ट्र कार्यकाल के मुताबिक, यह मेथमफेटामाइन और हीरोइन के अवैध उत्पाद के एशिया के मुख्य स्रोतों में से एक बन गया है। अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, नागालैंड और मिजोरम समेत पूर्वोत्तर राज्यों की सीमा म्यांमार से लगती है और इन राज्यों में सीमा पार से मादक पदार्थों की तस्करी बढ़ गई है। असम राइफल्स और अन्य एजेंसियों ने शनिवार रात मिजोरम में अलग-अलग अभियानों में म्यांमार से तस्करी कर लाई गई 29 करोड़ की हेरोइन और विदेशी मूल की सिगरेट जप्त की, इसके साथ ही 6 लोगों को भी गिरफ्तार किया गया।
ये भी पढ़ें-India और Nepal के बीच Kurtha-Bijalpura रुट पर दौड़ने लगी ट्रेन, क्या होंगे फायदे जानें यहां
चिंता का विषय-
असम राइफल्स के एक बयान में कहा गया कि म्यांमार से दवाइयों की तस्करी राज्य के साथ-साथ देश के लिए भी एक चिंता का विषय है, जयशंकर ने मादक पदार्थों और मानव तस्करी के बारे में चिंता व्यक्त की, इसके साथ ही उन्होंने तस्करी के पीड़ितों को जल्द वापस लाने के लिए संबंधित पक्षों के बीच मजबूत है सहयोग का आग्रह किया है।
मिजोरम सरकार के प्रयासों का समर्थन-
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन वीरेंद्र सिंह का कहना है, कि वह मिजोरम में अवैध नशीली पदार्थों की बरामदगी में हो रही वृद्धि से बहुत चिंतित हैं। उनका कहना है कि अपने राज्य में मादक पदार्थों की तस्करी से जुड़ी चुनौतियों का व्यक्तिगत रूप से अनुभव करने के बाद में इस जघन्य गतिविधियों से निपटने में मिजोरम सरकार के प्रयासों का तहे दिल से समर्थन करता हूं। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक शाह ने पिछले साल कहा था, कि ड्रग्स की तस्करी म्यांमार से असम, मिजोरम के रास्ते त्रिपुरा और फिर बांग्लादेश में की जाती है।
ये भी पढ़ें- Vande Bharat Train में अचानक कैसे लगी आग, जानिए यहां