सनातन धर्म में अधिक मास का बहुत ही महत्व होता है। इस मास के देवता भगवान विष्णु को माना जाता है और इस मास में भगवान विष्णु, नृ:सिंह और श्री कृष्ण की पूजा अर्चना की जाती हैं। इस साल अधिक मास 18 जुलाई 2023 से शुरू होकर 16 अगस्त 2023 तक रहेगा। सावन के माह में अधिक मास का यह पवित्र संयोग लगभग 19 साल बाद बन रहा है। अधिक मास के दौरान लोगों को कुछ नियमों का पालन करना चाहिए, ताकि उनके जीवन में सुख शांति और समृद्धि बनी रहें।
अधिक मास को बहुत ही पवित्र मास माना जाता है। इस मास की कहानियां भगवान विष्णु के अवतार नृ:सिंह और श्रीकृष्ण से संबंधित है, इसलिए इस मास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है।
नाम का जाप-
एक मास के दौरान श्रीमद्भागवत गीता की महामात्य, विष्णु सहस्त्रनाम स्त्रोत पाठ का वाचन, श्री राम कथा वाचन, गीता के पुरुषोत्तम नाम के 14 अध्याय का रोजाना अर्थ सहित पाठ करना चाहिए। इसके साथ ही आप ओम नमो भगवते वासुदेवाय का 108 बार जाप कर सकते हैं।
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खान-पान पर ध्यान-
अधिक मास में जप, तप और व्रत के साथ-साथ अपने भोजन पर भी ध्यान देना पड़ता है, क्योंकि हमारे भोजन का और आध्यात्मिकता का बहुत गहरा संबंध है। इसलिए अधिक मास में हमें उत्तम भोजन यानी गेहूं, चावल, जो, तिल, बथुआ, मटर ककड़ी, केला, दूध, दही, घी, आम, जीरा, कटहल, पान-सुपारी, सेंधा नमक, इमली, मेथी और आंवला जैसे उत्तम और शाहकारी भोजन को ग्रहण करना चाहिए।
दान-पुण्य के काम-
इस मास में दीपदान और ध्वजदान की बहुत ही महिमा है। ऐसा माना जाता है, कि अधिक मास के दौरान स्नान, पूजा-पाठ और अनुष्ठान करने के बाद जब भी कोई दान दिया जाता है, तो दानकर्ता को उस दान का विशेष फल प्राप्त होता है।
शुभ काम वर्जित-
अधिक मास में भले ही दान पड़ने पर अधिक जोर दिया जाता है, लेकिन इस मास के दौरान कोई भी शुभ कार्य जैसे शादी विवाह, ग्रह प्रवेश, मुंडन आदि नहीं किए जाते हैं।