Investment Tips: ज्यादातर निवेशक म्यूचुअल फंड का चुनाव करते हैं और उसके पिछले प्रदर्शन के आधार पर, फंड मैनेजर या फिर फंड हाउस का नाम देखकर उसमें इन्वेस्ट करते हैं। कई तो बस उन फंडों के पीछे लग जाते हैं जिनका रुझान उस समय बाजार में होता है। अब आप सोच रहे होंगे कि अगर कोई ऐसा करता है तो इसमें गलत क्या है। दरअसल ज्यादा एक्सपर्ट इसी बात पर भरोसा करते हैं। लेकिन पिछले प्रदर्शन को देखें तो हमेशा ऐसे चक्र आते ही रहते हैं। जब एक्सपर्ट्स या फंडहाउस कभी अच्छा प्रदर्शन कर पाते हैं और कभी नहीं।
3 फैक्टर्स पर जोर दें-
अगर आप लोंग टर्म इन्वेस्टमेंट के बारे में सोच रहे हैं तो आप 3 फैक्टर्स पर जोर दे सकते हैं। जो आपके पैसों को किसी भी तरह डूबने ना दें, अगर इन बातों का ध्यान रखेंगे तो आप ना सिर्फ म्यूच्यूअल फंड के एक्सपर्ट बन जाएंगे, बल्कि आपके हर निवेश पर पैसा बरसना शुरू होगा।
निप्पॉन इंडिया म्यूच्यूअल फंड-
लंबे समय के लिए सफलता पाने की प्रक्रिया को अपनाना किसी भी निवेशक की सबसे पहली जरूरत होती है। प्रोसेस सही से अपनाया जाए तो आपका पैसा डूबने की आशंका बिल्कुल कम हो जाती है। अच्छे निवेशक भी कई बार चूक जाते हैं। निप्पॉन इंडिया म्यूच्यूअल फंड का कहना है कि अगर निवेश के प्रोसेस पर सही से निगरानी रखी जाए, तो बाजार में उतार-चढ़ाव को पार करते हुए हर निवेश पर आप रिटर्न कमा सकते हैं।
महत्वपूर्ण पैरामीटर-
किसी भी इन्वेस्टमेंट को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी है कि अच्छी तरह से जोखिम का प्रबंधन किया जाए। ज्यादा रिस्क से ज्यादा रिटर्न से जुड़े होते हैं और कम जोखिम वाले कम रिटर्न से। इसीलिए रिस्क मैनेजमेंट अच्छे से निवेश करने के लिए महत्वपूर्ण पैरामीटर बन जाता है। बाजार में अस्थिरता, ब्याज दर, महंगाई और क्रेडिट रिस्क से संबंधित जोखिम हो सकते हैं। निप्पॉन फंड इन सारे जोखिम सिक्योरिटी लेवल के साथ-साथ पोर्टफोलियो लेवल पर भी बहुत सावधानी से हैंडल करता है। ऐसे किसी भी निवेश के डूबने का खतरा कम हो जाता है।
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समझदार निवेशक की तरह स्थिरता से नियमित रिटर्न-
आपको ज्यादा रिटर्न के पीछे भागने के बजाय एक समझदार निवेशक की तरह स्थिरता से नियमित रिटर्न प्राप्त करने पर ध्यान देना चाहिए। यह दो कारणों से बहुत जरूरी होता है। पहला स्थिर और प्रक्रिया संचालित तरीके से निवेश करना। जो लंबे समय में निवेशकों के लिए ज्यादा अच्छा साबित होता है। निप्पॉन इंडिया म्युचुअल फंड भी इसी तरह काम करता है कि कोई स्टॉक कितना अच्छा प्रदर्शन करता है, इससे फर्क पड़ने की वजह उसके ओवरवेट होने पर ज्यादा ध्यान देता है।
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