Gyanvapi Survey: बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी यानी कि वाराणसी में कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के बाद जारी, ज्ञानवापी सर्वे के दौरान ASI टीम को आज एक पत्थरनुमा आकृति मिली है। जानकारी के मुताबिक आज ज्ञानवापी में रडार तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा और गुंबद के नीचे वाली जमीन का सर्वे होगा। इस सर्वे के लिए और भी आधुनिक मशीनें मंगाई गई है। ज्ञानवापी सर्वे से जुड़ी एक खबर और आई है जिसके मुताबिक सर्वे के दौरान परिसर में जमीन के नीचे एक पिंडीनुमा आकृति मिली है।
ज्ञानवापी का सर्वे-
रविवार यानी आज भी ज्ञानवापी का सर्वे जारी है। हिंदू और मुस्लिम पक्ष के लोग सर्वे के दौरान मौजूद हैं। बताया जा रहा है कि आज ही ASI की टीम गुंबद के नीचे जाएगी। हिंदू पक्ष ने पिछले साल शिवलिंग को क्षति पहुंचाने का बड़ा आरोप लगाया था। वहीं मुस्लिम पक्ष की ओर से अदालत में अर्जी डाली गई थी, कि सर्वे वाले वीडियो को सार्वजनिक ना किया जाए। मुस्लिम और हिंदू पक्ष लंबे समय से अपनी-अपनी दलीलें पेश कर रहे हैं।
कलाकृतियों की उम्र और प्रकृति का पता-
इसी दौरान हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि वजू खाने में शिवलिंग है, वही शिवलिंग जिसे क्षति पहुंचाई गई है। अदालत के आदेश के अनुसार, इमारत में पाई जाने वाली सभी कलाकृतियों की एक सूची बनाई जाएगी। उसके बाद उन कलाकृतियों की उम्र और प्रकृति का पता लगाया जाएगा। इमारत की भी आयु निर्माण की प्रकृति का भी पता लगाया जाएगा। जीपीआर सर्वेक्षण के साथ साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं।
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कई शहरों के विशेषज्ञ शामिल-
जानकारी के मुताबिक सर्वे का काम पूरा होने के बाद कानूनी विवाद को सही तरह से सुलझाने में मदद मिल सकेगी। वाराणसी में मौजूद ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिकों ने सर्वे से दुनिया के सामने इतिहास दिया है। दरअसल ASI की टीम ने देश के कई शहरों के विशेषज्ञ शामिल हैं। 40 सदस्यी टीम के अलावा कई पुलिस अधिकारी और अधिवक्ता भी मौजूद रहते हैं। सर्वे के फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की भी व्यवस्था की गई है।
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