अब दिल्ली मेट्रो अपनी स्टेशन की इमारतों से पर्यावरण को बचाने में मदद करने वाली है। दिल्ली मेट्रो फेज 4 में 45 इमारतों को ग्रीन बिल्डिंग के तय मानकों के हिसाब से बनाया जा रहा है। यह स्टेशन 35 फ़ीसदी पानी और 25 फीसदी बिजली की बचत करेंगे। मेट्रो ने ग्रीन बिल्डिंग के निर्माण के लिए सलाहकार की नियुक्ति भी की है। मेट्रो फेज 4 में कुल 3 कोरिडोर बन रहे हैं जो कि 65 पॉइंट 20 किलोमीटर लंबे होने वाले हैं। मेट्रो फेस 4 के 65 किलोमीटर के नेटवर्क पर कुल 46 मेट्रो स्टेशन होंगे। जिसमें 27 स्टेशन एलिवेटेड होंगे और उनकी छतों पर खास तौर से ऊर्जा संयंत्र लगाए जाएंगे।
21.8 करोड़ यूनिट की सालाना जरूरत-
इसके अलावा कुछ जगहों पर एलिमेंट्री ट्रैक के आसपास भी सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने की योजना बनाई गई है। जानकारी के मुताबिक, फेस 4 का नेटवर्क तैयार होने के बाद बिजली की करीब 21.8 करोड़ यूनिट सालाना जरूरत होगी। इसमें एक करोड़ यूनिट से ज्यादा सालाना मेट्रो अपने सौर ऊर्जा संयंत्र से पूरा करेगा। दिल्ली में मौजूद सभी मेट्रो नेटवर्क पर लगे सौर ऊर्जा संयंत्र से 3.45 करोड़ यूनिट से ज्यादा का सौर ऊर्जा उत्पादन होता है।
प्राकृतिक लाइटिंग की व्यवस्था-
मेट्रो के मुताबिक, निर्माण के दौरान ध्यान रखा जा रहा है कि ऊर्जा बचत करने वाले उपकरणों का इस्तेमाल किया जाए। इसके अलावा मेट्रो के अंदर वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए टेरेस गार्डन बनाया जाएगा। बिजली का इस्तेमाल कम करना पड़े, इसके लिए एलिवेटेड स्टेशन में पूरी तरह प्राकृतिक लाइटिंग की व्यवस्था होगी। जिससे लाइट का इस्तेमाल कम करना होगा। इसके साथ ही परिसर भी हवादार बनाए जाएंगे, जिससे पंखे का इस्तेमाल कम करना पड़े।
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पिलर्स के साथ पिट्स-
इसमें खास तरह की ऊष्मा प्रतिरोधी टाइल्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिससे स्टेशन के अंदर के तापमान को सामान्य बनाया जा सके। इससे भी ऊर्जा खपत को कम किया जा सकेगा। स्टेशनों पर इस्तेमाल किए जाने वाले पानी और बारिश के पानी को बचाने के लिए हर स्टेशन पर वर्षा जल संचयन की सुविधा बनाई जा रही है। इसी के साथ खास तौर से सभी बड़े पिलर्स के साथ पिट्स बनाए जाएंगे। जिससे जो पानी स्टेशन पर पहुंचेगा उसे सही तरीके से वर्षा जल संयंत्र संचयन के लिए बनाए गए पिट्स तक पहुंचा जा सकेगा।
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