हाल ही में सुप्रीम कोर्ट अपनी ही रजिस्ट्री से बेहद नाराज हो गया और यहां तक की यह भी कह दिया की रजिस्ट्री के अधिकारियों को बेसिक की समझ नहीं है। रजिस्ट्री के स्टाफ ने माफी मांगी, तब जाकर किसी तरह मामला शांत हुआ। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस पंकज मिठल की बेंच हरफूल उर्फ काला बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले की सुनवाई कर रही थी। जिसमें अभियुक्ति हत्या का आरोपी है और उसे 2008 में 7 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई थी। बाद में उसने इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपील की थी, लेकिन हाई कोर्ट में सजा बरकरार रखी। इसके बाद दोषी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
रजिस्ट्री से दस्तावेजों की सॉफ्ट कॉपी-
जानकारी के मुताबिक जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो उच्चतम न्यायालय ने अपनी रजिस्ट्री से दस्तावेजों की सॉफ्ट कॉपी मांगी। लेकिन रजिस्ट्री दस्तावेज नहीं दे पाई, इसके चलते मामला बार-बार टलता रहा। 12 मई को सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर रजिस्ट्री को 21 जुलाई तक दस्तावेज देने को कहा था, लेकिन उस दिन भी रजिस्ट्री की तरफ से ऐसा ही हुआ। जिसके बाद कोर्ट ने 21 जुलाई को फिर अपना आदेश दोहराया।
रजिस्ट्री दस्तावेज नहीं दे पाई-
25 अगस्त को जब उच्चतम न्यायालय फिर से सुनवाई के लिए बैठा तो भी रजिस्ट्री दस्तावेज नहीं दे पाई। इसके बाद बेंच ने सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री से स्पष्टीकरण मांगा। इसी क्रम में 11 सितंबर को सुनवाई के दौरान रजिस्ट्रार की तरफ से पेश स्पष्टीकरण देख बेंच नाराज हो गए। जस्टिस अभय और जस्टिस पंकज की बेंच ने कहा यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है की रजिस्ट्री के सीनियर असिस्टेंट और दूसरे अधिकारियों ने एक ऐसी गलती का ठीकरा कोर्ट मास्टर पर थोप दिया है, जिसका उनसे कोई लेना देना ही नहीं है।
बहुत दुखद स्थिति-
कोर्ट ने आगे कहा, हमारे मुताबिक कोर्ट के आदेश का पालन करवाने में कोर्ट मास्टर की कोई भूमिका ही नहीं है। ऐसे में इस गलती के लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। यह तो बहुत दुखद स्थिति है रजिस्ट्री का स्टाफ हमारे सामान्य से आदेश को नहीं समझ पाया। अब सारा का सारा दोष मास्टर पर मड़ रहे हैं, जिसकी कोई जरूरत ही नहीं है।
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अधिकारियों को बेसिक की समझ नहीं-
यह तो बहुत सामान्य सी बात है कि अगर किसी मामले की सुनवाई डिवीजन बेंच कर रही है, तो संबंधित दशावेज़ की कम से कम दो प्रांत तो जरूर होनी चाहिए। इस संबंध में रजिस्ट्री के अधिकारियों ने जो स्पष्टीकरण दिया है उसे यह पता चलता है कि उन्हें बेसिक की समझ नहीं है। बेंच की नाराजगी देखकर रजिस्ट्री के अधिकारियों ने माफी मांगी, इसके बाद मामला शांत हुआ। आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि सुप्रीम कोर्ट अपनी रजिस्ट्री से मामले के गवाहों के बयान की दो प्रांतियाों का रिकॉर्ड पेश करने को कहा था।
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